फसल अवशेष से कंपोस्ट
Farm and Food|December First 2022
भारत में विभिन्न फसल प्रणालियों से लगभग 501.7 मिलियन टन फसल अवशेष उत्पादन होता है. फसल अवशेष उत्पादन में उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा प्रमुख राज्य हैं. इन राज्यों में मुख्य रूप से धान व गेहूं आधारित फसल प्रणाली होती है.
डा. शिवाधार एवं डा. सीमा सेपट
फसल अवशेष से कंपोस्ट

इस तरह से केवल धान में 18.6 मिलियन टन फसल अवशेष का उत्पादन पंजाब व हरियाणा राज्य से होता है. वहीं दूसरी तरफ, सर्वाधिक 67.6 मिलियन टन गेहूं फसल अवशेष उत्पादन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश राज्यों से प्राप्त होता है.

उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा राज्यों में किसान विभिन्न फसलों से प्राप्त फसल अवशेष को जला देते हैं. कुल फसल अवशेष उत्पादन से लगभग 92.8 मिलियन टन अवशेष को जला दिया जाता है. इस तरह से फसल अवशेषों को जलाने से वातावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक, बदलते मौसम के प्रतिकूल प्रभाव के कारण वर्ष 2040 तक फसलों की उत्पादकता में 10-40 फीसदी तक की कमी आ सकती है.

गेहूं में 1 डिगरी सैल्सियस तापमान में बढ़ोतरी से लगभग 4-5 मिलियन टन उत्पादन में कमी आ सकती है. इसलिए प्राकृतिक संसाधनों को बदलते वातावरण के संदर्भ में संरक्षित व टिकाऊ फसल उत्पादन करने के लिए उचित फसल अवशेष प्रबंधन बहुत जरूरी है. उचित व टिकाऊ फसल अवशेष प्रबंधन विभिन्न विधियों से किया जा सकता है: 

संरक्षण खेती 

इस विधि में फसलों के अवशेषों को जलाने के बजाय खेत में ही आच्छादन के लिए काम में लिया जाता है, जिस से मृदा उर्वरता में से सुधार होता है व वायु प्रदूषण को भी रोका जा सकता है.

यह फसल उत्पादन की पद्धति है, जिस के अंतर्गत संसाधन संरक्षण तकनीकों की सहायता से अधिकतम व टिकाऊ उत्पादन स्तर के साथसाथ प्राकृतिक संसाधन व पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए फसल उत्पादन किया जाता है.

यह तीन सिद्धांतों- न्यूनतम जुताई व मृदा सतह पर फसल अवशेषों का स्थायी आवरण एवं फसलचक्र विविधीकरण पर आधारित है.

कंपोस्ट

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कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
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कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक

वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.

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December 2024
सर्दी की फसल शलजम
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सर्दी की फसल शलजम

कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.

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December 2024
राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान
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राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान

हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

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December 2024
करें पपीते की वैज्ञानिक खेती
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करें पपीते की वैज्ञानिक खेती

पपीता एक महत्त्वपूर्ण फल है. हमारे देश में इस का उत्पादन पूरे साल किया जा सकता है. पपीते की खेती के लिए मुख्य रूप से जाना जाने वाला प्रदेश झारखंड है. यहां उचित जलवायु मिलने के कारण पपीते की अनेक किस्में तैयार की गई हैं.

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December 2024
दिसंबर महीने के जरुरी काम
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दिसंबर महीने के जरुरी काम

आमतौर पर किसान नवंबर महीने में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई न हो पाई हो, तो उसे दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक जरूर निबटा दें.

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December 2024
चने की खेती और उपज बढाने के तरीके
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चने की खेती और उपज बढाने के तरीके

भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.

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December 2024
रोटावेटर से जुताई
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रोटावेटर से जुताई

आजकल खेती में नएनए यंत्र आ रहे हैं. रोटावेटर ट्रैक्टर से चलने वाला जुताई का एक खास यंत्र है, जो दूसरे यंत्रों की 4-5 जुताई के बराबर अपनी एक ही जुताई से खेत को भुरभरा बना कर खेती योग्य बना देता है.

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December 2024
आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर
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आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर

खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.

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December 2024
कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा
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कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा

बातचीत : गौतम टेंटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री, मध्य प्रदेश

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December 2024
गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय
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गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय

खरपतवार ऐसे पौधों को कहते हैं, जो बिना बोआई के ही खेतों में उग आते हैं और बोई गई फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. मुख्यतः खरपतवार फसलीय पौधों से पोषक तत्त्व, नमी, स्थान यानी जगह और रोशनी के लिए होड़ करते हैं. इस से फसल के उत्पादन में कमी होती है.

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December 2024