मोटे अनाजों में बाजरा प्रमुख मोटे अनाज की फसल है. इसे पूर्वकाल में गरीबों का भोजन भी कहा जाता था. बाजरे की खेती खरीफ को छोड़ कर जायद में भी की जाने लगी है.
जायद में बाजरे की बोआई मार्चअप्रैल में की जाती है. इस की खेती हरे चारे के लिए भी की जाती है. बाजरे के दाने में 11.6 प्रतिशत प्रोटीन, 5 प्रतिशत वसा, 67 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 2.7 प्रतिशत खनिज लवण पाया जाता है.
भूमि का चुनाव
बाजरे की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट भूमि अच्छी रहती है. समतल भूमि वाली व जीवांशयुक्त भूमि में भी बाजरा की खेती करने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
भूमि की तैयारी
आलू, सरसों, मटर आदि की फसल कटाई के बाद पलेवा करने के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से 20 से 25 सैंटीमीटर गहरी एक जुताई तथा उस के बाद कल्टीवेटर या देशी हल से 2 जुताई कर के पाटा लगा कर खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए.
बाजरा की उन्नतशील प्रजातियां
सीजेड पी 9602
इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 185 से 200 सैंटीमीटर होती है. पत्तों का रंग चमकीला होता है. इस किस्म के पौधे 70 से 75 दिन में पक कर तैयार हो जाते हैं तथा दानों का रंग हलका पीलापन लिए होता है. यह किस्म जोगिया रोग के प्रति सहनशील होती है. इस की पैदावार 13 क्विटल प्रति हेक्टेयर है.
एचएचबी 672
इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 160 से 180 सैंटीमीटर होती है. इस किस्म के सिट्टे सख्त रोजेदार वह 22 से 25 सैंटीमीटर लंबे तथा परागकण पीले रंग के होते हैं. यह किस्म सूखे के प्रति सहनशील है.
पूसा 605
यह एक संकर किस्म है जो 75 से 80 दिन में पकने वाली होती है तथा कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. पौधों की ऊंचाई 125 से 150 सैंटीमीटर होती है. उपज 9 से 10 क्विटल हेक्टेयर प्राप्त होती है. सूखा चारा 25 क्विंटल हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है.
पूसा हाईब्रिड 605
यह किस्म 74 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. उपज 22 से 24 क्विटल हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है.
आईसीटीपी 8203
Bu hikaye Farm and Food dergisinin March Second 2023 sayısından alınmıştır.
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