आम से अच्छी पैदावार लेने के लिए फसल की सुरक्षा भी जरूरी है. कई बार आम की फसल में अनेक कीट व रोग लग जाते हैं, जिन से फसल उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. जरूरी है कि समय रहते कीट व रोगों को पहचान लें और उन की रोकथाम करें.
आम के प्रमुख कीट कड़ी कीट या गुजिया
इस के अर्भक भूरे रंग के होते हैं. दिसंबरजनवरी में शिशु निकलते हैं, जो पेड़ों के ऊपर धीरेधीरे रेंग कर चढ़ते हैं.
शिशु कीट और प्रौढ़ मादा कोमल शाखाओं व वृंतों से बौर वाली टहनियों पर भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं और उन का रस चूसते हैं. परिणामस्वरूप फूल सूख कर झड़ कर गिर जाते हैं और उन के फलों की संख्या कम हो जाती है. उन के डंठल इतने कमजोर हो जाते हैं कि हवा के हलके झोंकों में ही वे जमीन पर गिर जाते हैं तथा उन के द्वारा उत्सर्जित चिपचिपे पदार्थ का विसर्जन करते हैं, जिस पर काली फफूंद उग जाती है. अधिक प्रकोप में फल गिर जाते हैं.
रोकथाम
• इस की रोकथाम के लिए मईजून माह में बाग की गहरी खुताई करनी चाहिए, ताकि अंडे ऊपर आ कर तेज धूप से नष्ट हो जाएं.
• दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक थालों की गुड़ाई करा कर बेवेरिया बैसियाना या फेनवैलेरेट 10 प्रतिशत ईसी 0.5 मिलीलिटर पानी में मिला कर मिट्टी में मिला देते हैं. क्लोरपाइरिफास चूर्ण 1.5 प्रतिशत से 250 ग्राम प्रति थाले के हिसाब से मिट्टी में मिला देना चाहिए.
• दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक वृक्ष के मुख्य तने पर लगभग 1/2 मीटर की ऊंचाई पर 25-30 सैंटीमीटर 300-400 गेज की पौलीथिन शीट को पतली सुतली से बांध कर दोनों सिरों को चिकनी मिट्टी या ग्रीस से लेप देना चाहिए.
• पेड़ों की मुलायम पत्तियों, टहनियों और पुष्पक्रम पर चिपकी हुई चूर्णी बग को एल्फासाइपर मेथ्रिन 10 प्रतिशत 0.25 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी या मेटासिस्टौक्स के 0-025 प्रतिशत या रोगर के 0-04 प्रतिशत या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 0.5 मिलीलिटर प्रति लिटर घोल के छिड़काव द्वारा नष्ट किया जा सकता है.
भुनगा अथवा लस्सी कीट
Bu hikaye Farm and Food dergisinin March Second 2023 sayısından alınmıştır.
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