उमाशंकर पांडेय पानी के पहरेदार को पद्मश्री 'खेत पर मेंड और मेंड पर पेड़' ने दिखाई राह
Farm and Food|April First 2023
गणतंत्र दिवस के मौके पर पुरखों के पारंपरिक तरीकों को अपना कर बुंदलेखंड को पानीदार बनाने वाले 'जलयोद्धा' के नाम से चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता उमाशंकर पांडेय को साल 2023 के 'पद्मश्री अवार्ड' से नवाजे जाने की घोषणा हुई, तो देश के हर कोने में उन के बारे में लोग जानने को उत्सुक हो उठे.
बृहस्पति कुमार पांडेय
उमाशंकर पांडेय पानी के पहरेदार को पद्मश्री 'खेत पर मेंड और मेंड पर पेड़' ने दिखाई राह

मूल रूप से बुंदेलखंड इलाके के बांदा जिले के जखनी गांव के बाशिंदे उमाशंकर पांडेय ने बिना किसी सरकारी या गैरसरकारी सहायता लिए ही समुदाय को साथ ले कर पानी बचाने के लिए पारंपरिक विधि 'खेत पर मेंड़ और मेंड़ पर पेड़' अभियान चला कर बुंदेलखंड क्षेत्र को इतना पानीदार बनाया कि जहां कभी पीने के पानी के लिए लाठियां चटकती थीं, वहीं आज सरकार धान क्रय केंद्र खोल कर करोड़ों रुपए की धान खरीदारी किसानों से कर रही है.

उमाशंकर पांडेय की इस मुहिम का ही कमाल है कि जो किसान पहले बरबाद हो चुकी खेती के चलते दूसरे शहरों को पलायन कर चुके थे, वे आज गांव वापस आ कर खेती कर लाखों की आमदनी कर रहे हैं. साथ ही, जो गांव कभी पानी की समस्या से जूझ रहे थे, वहां अब मईजून की भीषण गरमी में भी पानी की कोई समस्या नहीं होती है.

सूखे में खोजा पानी बचाने का उपाय 

बुंदेलखंड इलाके में कभी पानी की किल्लत के चलते ट्रेनों से भरभर कर पीने का पानी भेजा जाता था. एक समय ऐसा आया कि जब मालगाड़ी से बुंदेलखंड में पानी लाया जाने लगा था.

पानी की किल्लत का यह आलम था कि बुंदेलखंड इलाके के चित्रकूट, बांदा, महोबा, झांसी, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन, सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ सहित कई जिलों के हालात पानी की किल्लत के चलते इतने बिगड़ गए थे कि खेतीबारी पूरी तरह से बरबाद हो चुकी थी. इस इलाके में पानी की समस्या के कारण शादी का इंतजार करतेकरते कई लोग बूढ़े हो जाते थे. 

पानी के संकट ने उमाशंकर पांडेय के मन पर इतना गहरा असर डाला कि वे बिना किसी की सहायता के अकेले ही पानी बचाने की मुहिम में निकल पड़े. पानी बचाने की इस मुहिम की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस साल उन्होंने यह कमाल कर दिखाया, उस के अगले साल जो लोग उन की इस मुहिम पर हंसते थे, वे खुद ही इस मुहिम का हिस्सा बन कर पानी बचाने में लग गए.

इसी जल संकट के बीच सरकार के नाकाफी पड़ते उपायों के बीच 'जलयोद्धा' उमाशंकर पांडेय नें मेंड़बंदी जैसे पारंपरिक तरीके को समुदाय में बढ़ावा दे कर न केवल बुंदेलखंड, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी पानी के संकट को काफी हद तक कम कर दिया है.

Bu hikaye Farm and Food dergisinin April First 2023 sayısından alınmıştır.

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