नया रिवाज मोटे अनाज
Farm and Food|April Second 2023
पारंपरिक भारतीय अनाजों में स्वास्थ्य का खजाना छिपा है. बीते कुछ सालों में कई ऐसी फसलें खेतों में लगी हैं और फिर ऐसा खाना थाली में लौट आया है, जिन्हें कुछ वक्त पहले तक बिलकुल भुला दिया गया था.
डा. आरएस सेंगर एवं डा. शालिनी गुप्ता
नया रिवाज मोटे अनाज

भारत में 60 के दशक के पहले तक मोटा अनाज हमारे भोजन का हिस्सा था. तकरीबन 5-6 दशक पहले कुछ फसलें नाममात्र थीं. उदाहरण के लिए, धान और कोदो की एकसाथ बोई गई फसल को धनकोडाई कहा जाता था. इसी प्रकार गेहूं और जौ के साथ बोई गई फसल को गोजाई कहा जाता था.

ये फसलें अपनी परंपरा में इस कदर समाई थीं कि उन दिनों गांव में कुछ लोग गोजाई और कोडाई के नाम से भी मिलते थे. खाद्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए और कुपोषण पर काबू पाने के लिए भारत में 60 के दशक में हरित क्रांति हुई और उस के परिणामस्वरूप चावल और गेहूं की अधिक पैदावार वाली किस्मों को उगाया जाना शुरू किया गया और धीरेधीरे हम मोटे अनाज को भूल गए.

वर्ष 1960 और 2015 के बीच, गेहूं का उत्पादन 3 गुना से भी अधिक हो गया और चावल के उत्पादन में 800 फीसदी की वृद्धि हुई, लेकिन इस दौरान मोटे अनाजों का उत्पादन कम ही बना रहा. जिस अनाज को हम 6,500 साल से खा रहे थे, उस से हम ने मुंह मोड़ लिया और आज पूरी दुनिया उसी मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है और बाजार में इन्हें सुपर फूड का दर्जा दिया गया है.

वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों में भारत का स्थान देखें, तो उन के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 20 फीसदी के करीब है.

एशिया के लिहाज से यह हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है. इस में बाजरा और ज्वार हमारी मुख्य फसल हैं। खासकर बाजरे के उत्पादन में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। और उत्तर प्रदेश भारत में पहले नंबर पर है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष को सफल बनाने में भारत, खासकर उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. राज्य सरकार भी इस के लिए पूरी तरह से तैयार है. बाजरे को लोकप्रिय बनाने की पूरी योजना पहले ही तैयार की जा चुकी है. 

मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए ही सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया गया है. इस के अलावा उपज की बिक्री के लिए एक टिकाऊ बाजार मुहैया करने के उद्देश्य से सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को शामिल किया है.

अब इस के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता पर ध्यान दिया जा रहा है. सरकार द्वारा किसानों को बीज किट और निवेश लागत उपलब्ध कराई गई है. इसी अवधि के दौरान मोटे अनाज की 150 से अधिक उन्नत किस्में, जो अधिक उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी हैं, को भी लौंच किया गया है.

Bu hikaye Farm and Food dergisinin April Second 2023 sayısından alınmıştır.

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