परंपरागत खेती को छोड़ कर थोड़ा जोखिम उठा कर एक किसान परिवार ने उद्यानिकी खेती के बाद टमाटर की फसल लेने का कदम उठाया, तो लाल टमाटरों की रंगत ने किसान को भी नोटों से लाल कर दिया. किसान परिवार एक ही फसल में मालामाल हो गया.
मूल रूप से मध्य प्रदेश के हरदा जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले मधुसूदन धाकड़ के पिता भी खेती का ही काम करते थे. बचपन से ही खेतीकिसानी से जुड़े रहने के कारण उन्हें इस की बारीकियों के बारे में बखूबी जानकारी थी. लेकिन, उन्हें नई तकनीक के साथ काम करने और उस का प्रयोग करने में हमेशा से रुचि रहती थी. धीरेधीरे समय गुजरा, मधुसूदन धाकड़ भी अपने पिता के पदचिह्नों पर चल पड़े और खेती करने लगे.
हरदा जिले के एक छोटे से गांव सिरकम्बा के रहने वाले किसान मधुसूदन धाकड़ इलाके में 'टमाटर किंग' के नाम से जाने जाते हैं. वे 60 एकड़ में टमाटर, 40 एकड़ में शिमला मिर्च और अदरक उगा रहे हैं. उन्हें प्रति एकड़ तकरीबन 10 लाख रुपए का मुनाफा इन फसलों से हो रहा है.
मधुसूदन धाकड़ ने फलसब्जी की उन्नत खेती कर के प्रदेश में मिसाल कायम की है. उन के खेतों के टमाटर की डिमांड दूसरे राज्यों में भी काफी है. उन के खेतों में उगने वाले टमाटर की खूबी है कि पौधे से अलग होने के 15 दिन बाद तक वह चमक नहीं खोता.
मधुसूदन धाकड़ बातचीत के दौरान अपने अनुभव बताते हैं, "10 साल पहले तक हम भी पारंपरिक खेती करते थे, फिर एक बार किसी ने बताया कि महाराष्ट्र के किसान कम रकबे में जबरदस्त खेती करते हैं. ये देखने के लिए मैं महाराष्ट्र गया. वहां जा कर देखा कि छोटे रकबे का किसान भी समृद्धिशाली है, क्योंकि वहां पारंपरिक खेती के बजाय सब्जियां उगाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है. महाराष्ट्र से आने के बाद मैं ने भी सब्जियां उगानी शुरू कीं."
Bu hikaye Farm and Food dergisinin May Second 2023 sayısından alınmıştır.
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