पत्तागोभी का बीजोत्पादन केवल पर्वतीय क्षेत्रों 1,800 मीटर से 3,000 मीटर की ऊंचाई में ही सफलतापूर्वक लिया जा सकता है. शुद्ध व गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन के लिए तकनीकी जानकारी का होना आवश्यक है.
अच्छे व गुणवत्तायुक्त किस्मों के बीज उत्पादन के समय बीज की शुद्धता व गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ध्यान देना चाहिए, जिस से बीज के गुणों की क्षति को रोका जा सके. अब तक इस फसल के बीजोत्पादन में जम्मू राज्य अग्रणी रहा है.
जलवायु
पत्तागोभी की खेती मैदानी क्षेत्रों में शीतकाल में की जाती है. पत्तागोभी की फसल के लिए 15 से 20 डिगरी सैल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, जो पर्वतीय क्षेत्र में अलगअलग ऊंचाई पर अलगअलग समय में होता है, जिस से वर्षभर पत्तागोभी की सब्जी मिलती रहती है.
पत्तागोभी के पौधों में फूल बनने के लिए कम से कम डेढ़ माह से 2 माह तक 5 से 10 डिगरी सैल्सियस तापमान का मिलना अतिआवश्यक है. अगर यह तापमान लंबी अवधि तक मिलता है, तो पौधे में जल्दी फूल बनते हैं. इस के विपरीत यदि वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है, तो पौधा वानस्पतिक अवस्था में ही रह जाता है.
बीज उत्पादन के लिए पत्तागोभी की खेती जुलाईअगस्त माह में करनी चाहिए. पत्तागोभी बीजोत्पादन के लिए ऐसे स्थान को चुना जाना चाहिए, जहां जुलाई से मई माह तक समयसमय पर वर्षा होती हो और पौधों में फलियां बनते समय प्रर्याप्त धूप मिल सके.
चुने गए क्षेत्र ओले से बहुत कम प्रभावित होने चाहिए, जिस के लिए फसल को बचाने के लिए नायलौन के जालों की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए.
भूमि का प्रकार
पत्तागोभी की खेती के लिए भूमि में पर्याप्त मात्रा में जीवांश होना चाहिए. अच्छे जलधारण एवं जल निकास वाली भूमि पत्तागोभी के बीजोत्पादन के लिए सर्वोत्तम होती है. पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए.
भूमि की तैयारी
पत्तागोभी से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत में एक गहरी व एक हलकी जुताई करनी चाहिए. पत्तागोभी की खेती असिंचित दशा में मध्यम ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में ही सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.
भूमि शोधन
Bu hikaye Farm and Food dergisinin July Second 2023 sayısından alınmıştır.
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