अजोला की खेती पशुओं का पौष्टिक आहार
Farm and Food|November Second 2023
हमारे देश में पशुओं के लिए पौष्टिक चारे की किल्लत दिनोंदिन विकट रूप धारण करती जा रही है. ऐसे में वर्षभर हरे चारे की उपलब्धता भी संभव नहीं हो पाती है. पशुपालकों को वर्ष के अधिकांश महीनों में सूखे चारे के रूप में भूसा, बाजरा व पुआल से बना चारा ही खिलाना पड़ता है. साथ ही, पशुपालकों को पौष्टिक चारे के रूप में पोषक आहार में सरसों की खली, दड़ा, दलिया इत्यादि भी देना पड़ता है, जिस पर 15 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम का खर्च आता है.
बृहस्पति कुमार पांडेय
अजोला की खेती पशुओं का पौष्टिक आहार

ऐसे में अगर पशुपालक दुधारू पशुओं का पालन कर रहा है, तो उस के पोषण का विशेष खयाल रखना पड़ता है. इस के लिए पोषण तत्त्वों से भरपूर चारे के ऊपर अत्यधिक खर्च करना पड़ता है. कभीकभी पोषक चारे व आहार देने के बावजूद भी दुधारू पशुओं से अपेक्षित दुग्ध उत्पादन नहीं मिल पाता है, जिस की वजह से पशुपालकों को कभीकभी नुकसान भी उठाना पड़ता है.

इस नजरिए से पोषक तत्त्वों से भरपूर माना जाने वाला अजोला फर्न न केवल पोषक तत्त्वों से भरपूर है, बल्कि इस से दुग्ध उत्पादन को बढ़ा कर उत्पादन लागत में कमी लाई जा सकती है. अजोला फर्न खिलाने से गाय के दूध में 15 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है.

वैसे भी देश में हरे चारे का मुख्य स्त्रोत माने जाने वाले चारागाहों, वन क्षेत्रों व कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल तेजी से सिमट गया है, जिस की वजह से पशुओं के लिए हरे चारे का संकट भी बढ़ा है. इस की पूर्ति के लिए पशुपालक को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए चारे व दाने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.

ऐसी स्थिति में अजोला सस्ता, सुपाच्य व पौष्टिक आहार के रूप में एक बेहतर चारा साबित हो रहा है, जिस पर महज 2 रुपए से कम प्रति किलोग्राम की लागत आती है.

अजोला एक प्रकार का फर्न है, जो देखने में शैवाल की तरह होता है और पानी पर तैरता रहता है. यह आमतौर पर उथले पानी और धान के खेतों में पाया जाता है. मगर इस का व्यावसायिक उत्पादन फायदे का सौदा साबित हो रहा है.

अजोला किसी भी अन्य चारे से ज्यादा पौष्टिक होता है, जिस को खिलाने से दुधारू पशुओं के दूध की गुणवत्ता पहले से बेहतर हो जाती है.

Bu hikaye Farm and Food dergisinin November Second 2023 sayısından alınmıştır.

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