चूंकि भारत प्राकृतिक विविधताओं वाला देश है. ऐसे में हम अब भी ऐसे हालात में हैं कि देश के डेढ़ अरब लोगों के पेट भरने के लिए भरपूर मात्रा में खाद्यान्न कर पाने में सक्षम हैं, लेकिन बीते 2-3 दशकों में मौसमचक्र में तेजी से बदलाव आने से अब खेती पर खतरा मंडराने लगा है.
देश के जिन हिस्सों में जून महीने में मानसून सक्रिय हो जाता था, उन हिस्सों में अब मानसून के देरी से दस्तक देने के चलते वर्षा आधारित फसलों के उत्पादन में तेजी से कमी आई है. इस के चलते जहां वर्षा में कमी आई है, वहीं शरद ऋतु में कम ठंड ने रबी सीजन की फसलों के उत्पादन में कमी लाने का काम किया है. जलवायु परिवर्तन का खतरा सिर्फ देश के मैदानी इलाके ही नहीं झेल रहे हैं, बल्कि इस का सीधा असर पहाड़ी और ठंडे प्रदेशों पर भी दिखाई पड़ने लगा है.
जलवायु परिवर्तन का सीधा उदाहरण हम हिमाचल प्रदेश से ले सकते हैं. साल 2023 में हिमाचल प्रदेश में भीषण बारिश ने यहां के कई जिलों को पूरी तरह से तबाह कर के रख दिया.
अगर हम अकेले हिमाचल प्रदेश की बात करें, तो यह ठंडे प्रदेशों में गिना जाता है, इसलिए यहां कम तापमान में पैदा होने वाली फसलें ही उगाई जाती हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में ठंडे प्रदेशों में भी गरमी बढ़ने से ठंड में पैदा होने वाली फसलें भी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.
हिमाचल प्रदेश में पैदा होने वाले सेब की अगर बात करें, तो जलवायु परिवर्तन के चलते यहां के तापमान में वृद्धि हुई है. इस वजह से यहां सेब के पौधे अब सूख रहे हैं. सेब के बागानों में बीमारियों और कीटों का प्रकोप बढ़ रहा है. अब केवल अधिक ऊंचाई पर सेब के बागान होने से इस के उत्पादन में कमी आई है.
यही हाल मैदानी इलाकों का भी है. जूनजुलाई में कम बारिश और सितंबरअक्तूबर में बेमौसम बारिश और ओले ने खरीफ सीजन की फसल और उत्पादन पर बुरा प्रभाव डाला है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में कपास, सोयाबीन और गन्ने का उत्पादन असमय बारिश, ओला, कीट और बीमारियों के चलते घट रहा है.
Bu hikaye Farm and Food dergisinin December First 2023 sayısından alınmıştır.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?
मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का (एचक्यूपीएम) की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है.
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धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
धान उत्पादन की दृष्टि से भारत दुनिया में सब से बड़े देशों में गिना जाता है.