बरबटी को लोबिया नाम से भी जाना जाता है. यह प्रोटीन का बहुत सस्ता और अच्छा जरीया है. लोबिया की हरी नरम फलियों को सब्जी के तौर पर और दानों को दाल या चाट बना कर इस्तेमाल में लाया जाता है. इस को मिट्टी कटाव रोकने के लिए भी उगाते हैं. यह कुछ हद तक सूखे के प्रति प्रतिरोधी है और कम उपजाऊ खेतों में भी अच्छी पैदावार होने के चलते लोबिया को सभी तरह की आबोहवा में उगाया जा सकता है.
यह गरम मौसम की फसल है. ठंडा मौसम इस की खेती के लिए अच्छा नहीं होता. ज्यादा बारिश व पानी का भराव इस के लिए नुकसानदायक होता है.
लोबिया की अलगअलग किस्मों को अलग तरह के तापमान की जरूरत पड़ने के चलते जायद व खरीफ दोनों सीजन में उगाने के लिए अलगअलग किस्में होती हैं.
लोबिया की खेती सभी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं. खेत से फालतू पानी को निकालने का इंतजाम होना चाहिए.
खेत की पहली जुताई कल्टीवेटर से व दूसरी जुताई हैरो से करनी चाहिए. हर जुताई के बाद पाटा चला कर मिट्टी को भुरभुरा व समतल बना लेते हैं.
बीज की मात्रा
लोबिया का औसतन 12 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है. गरमी की फसल में 20 किलो व बरसात की फसल के लिए 12 किलो बीज पर्याप्त रहता है.
Bu hikaye Farm and Food dergisinin February Second 2024 sayısından alınmıştır.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
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