पहला, जड़ को प्रभावित करने वाली बीमारियां-आर्द्रपतन (पौध गलन), जड़ सड़न, स्तंभ एवं मूल संधि सड़न (कौलर राट), म्लानि (उकठा) एवं मूल ग्रंथि रोग.
दूसरा, पौध की ऊपरी भाग को प्रभावित करने वाली बीमारियां पत्ती धब्बा, झुलसा आदि हैं, जिन से अपेक्षाकृत कम क्षति होती है.
रोगों से बचाव के उपाय
पौलीहाउस के भीतर की जाने वाली खेती व्यावसायिक होती है, इसलिए फसलचक्र, गरमियों की गहरी जुताई और विभिन्न शस्य क्रियाओं जैसी पारंपरिक विधियों को अपना कर रोगों का नियंत्रण करना संभव नहीं होता है.
इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पौलीहाउस के भीतर रोगग्रस्त बीज, पौध (नर्सरी), संक्रमित मिट्टी और गोबर की कच्ची खाद का प्रयोग कदापि न करें, क्योंकि इन्हीं के माध्यम से बीज एवं मृदाजनित रोगों के कारकों (रोगजनकों) का प्रवेश पौलीहाउस के भीतर होता है.
यदि एक बार इन का प्रकोप पौलीहाउस में हो जाए, तो इन का नियंत्रण करना बहुत ही कठिन होता है. अतः हर संभव उपाय करना चाहिए कि पौलीहाउस में रोगजनकों का प्रवेश किसी भी माध्यम द्वारा न हो सके.
मृदा एवं बीजजनित रोगों से बचाव का सब से कारगर उपाय है कि स्वस्थ एवं रोगमुक्त बीज का प्रयोग. बीज हमेशा विश्वसनीय स्त्रोत से खरीदना चाहिए, साथ ही यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह प्रमाणित हो. यदि स्वयं का बीज प्रयोग में ला रहे हों, तो उसे बोआई से पहले उपचारित कर लेना चाहिए.
प्रयोग में लाई जाने वाली गोबर की खाद (कंपोस्ट) अच्छी तरह सड़ी हुई होनी चाहिए. यदि खाद अच्छी तरह सड़ी हुई न हो, तो कीट एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है.
इन सावधानियों के अपनाने के बाद भी यदि पौलीहाउस के भीतर बीमारियों का प्रकोप हो जाए, तो उन का नियंत्रण निम्न प्रकार से किया जा सकता है:
आर्द्रपतन (पौध गलन): यह मुख्यत पौधशाला का रोग है. मिट्टी गीली रहने और अधिक तापमान होने से इस रोग का प्रकोप अधिक होता है. नतीजतन, अधिक संख्या में नर्सरी में पौध मर जाती है. इस में कभीकभी बीज जमीन के भीतर ही सड़ जाता है.
Bu hikaye Farm and Food dergisinin April Second 2024 sayısından alınmıştır.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
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