पिछले साल पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने इस विषय पर पहल की थी और उन्होंने एक योजना तैयार कराई थी कि मेरठ के आसपास के जो तालाब खाली पड़े हैं, उन में जल संरक्षण किया जा सकता है. यदि वहां पर मखाने की खेती शुरू कर दी जाए, तो शायद किसानों को फायदा मिलेगा और भूमि के गिरते जल स्तर को भी ठीक किया जा सकेगा.
प्रो. आरएस सेंगर, प्लांट बायोटैक्नोलॉजी डिवीजन के विभागाध्यक्ष ने बताया कि देश में जिस तरह की जलवायु है, इस के अनुकूल मखाने की खेती करना यहां आसान माना जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी तालाबों और पोखरों में इस की खेती की जा सकती है.
वैसे, मखाना उष्ण जलवायु का पौधा है. गरम मौसम और फसल को उगाने के लिए पानी बेहद जरूरी है. मखाने की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सब से अच्छी होती है. जलाशयों, तालाबों, निचली जमीन में रुके हुए पानी में इस की अच्छी उपज होती है. जहां धान की खेती होती है, वहां मखाने का अच्छा उत्पादन होता है, इसलिए तालाबों में जो पश्चिम उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं, उन में सरकार को पहल कर के आगे आना चाहिए और मखाने की खेती शुरू की जानी चाहिए.
मखाना की खेती से मिट्टी को होने वाले लाभ
मखाना के पौधे या बीज की रोपाई करते समय बीज की दूरी 1.20 मीटर और कतार से कतार की दूरी 1.25 मीटर रखी जाती है. इस प्रकार एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में 6,666 पौधे आते हैं.
मखाना की खेती से मिट्टी की उर्वराशक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसे जानने के लिए 10 पौधे का चयन रैंडम तरीके से किया गया, तो यह देखा गया कि मखाना के पौधे में औसतन 90 फीसदी पानी की मात्रा होती है. इस प्रकार एक पौधे का शुष्क भार 1.0 किलोग्राम से ले कर 1.50 किलोग्राम तक होता है.
मखाना के पौधे सड़ने के बाद मिट्टी में 6.7 से 10.0 टन प्रति हेक्टेयर की दर से कार्बनिक प्रदार्थ का जुड़ाव करते हैं. इसलिए मखाने के पौधे सड़ने के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन 30.73, फास्फोरस 46.99, पोटाश 40.11, लौह 22.13 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जरूरी पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं.
कैसे उगाया जाता है मखाना
Bu hikaye Farm and Food dergisinin August First 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Farm and Food dergisinin August First 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?
मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का (एचक्यूपीएम) की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है.
लाख का बढ़ेगा उत्पादन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय द्वारा किया जाता है.
धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
धान उत्पादन की दृष्टि से भारत दुनिया में सब से बड़े देशों में गिना जाता है.