भारत में की जाने वाली आम की व्यावसायिक किस्मों की बागबानी की बात करें, तो पिछले कुछ सालों तक दशहरी, चौसा, लखनऊ सफेदा, अल्फांसो जैसी किस्मों का लगभग आधे से अधिक के बाजार पर कब्जा हुआ करता था. आम की ये किस्में आमतौर पर अगस्त के पहले सप्ताह तक ही बाजार में नजर आती हैं, लेकिन देश में बीते 2 दशकों में आम की ऐसी तमाम नई किस्में ईजाद की गई हैं, जो अपने खूबसूरत रंग और बनावट के साथ स्वाद के मामले में नायाब रही हैं. साथ ही, ये किस्में पारंपरिक किस्मों की अपेक्षा देर से पकने के कारण बाजार में किसान को अच्छा मुनाफा देने वाली मानी जाती हैं.
इन किस्मों को तोड़ने के बाद सामान्य पारंपरिक किस्मों की अपेक्षा लंबे समय तक एक कमरे के सामान्य तापमान पर भी भंडारित कर के रखा जा सकता है.
देश में विकसित की गई ज्यादातर रंगीन किस्में आम की रंगीन विदेशी किस्मों के क्रौस से तैयार की गई हैं, जबकि आम की ऐसी तमाम विदेशी किस्में हैं, जिन को भारत की आबोहवा बागबानी के लिए माकूल पाया गया है.
अगर भारतीय बागबान बाजार में रंगीन और विदेशी आम की मांग को देखते हुए भारतीय आबोहवा में माकूल पाई गई किस्मों की बागबानी करते हैं, तो निश्चित ही वे अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं.
आम की हैडेन प्रजाति
आम की रंगीन किस्मों को ईजाद किए जाने की दिशा में दुनियाभर में क्रांति लाने का काम अमेरिका के फ्लोरिडा शहर से हुआ. फ्लोरिडा में सब से ज्यादा जो रंगीन किस्में ईजाद की गई हैं, उस में हैडेन का ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान रहा है.
अगर हैडेन आम की बात करें, तो इसे फ्लोरिडा में मुल्गोबा और टरपेंटाइन के बीजू पौधों के क्रौस से विकसित किया गया है. आम के हैडेन प्रजाति के फल देखने में खूबसूरत और शानदार स्वाद वाले होते हैं. लेकिन आम की इस किस्म में फंगस की समस्या ज्यादा पाई जाती है, इसलिए बागबान इसे लगाना कम पसंद करते हैं.
टौमी एटकिंस
भारत में टौमी एटकिंस प्रजाति के आम की खेती व्यावसायिक लैवल पर खूब की जाने लगी है. इस का खास रंग और स्वाद बागबानों और आम खाने वाले दोनों को पसंद आता है. इस किस्म बाजार रेट भी बहुत अच्छा है, क्योंकि टौमी एटकिंस प्रजाति के आम बड़े शहरों में सौ रुपए प्रति पीस के हिसाब से बिकते हैं.
Bu hikaye Farm and Food dergisinin August First 2024 sayısından alınmıştır.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?