महर्षि अरविन्द ने भगवान श्रीकृष्ण को ओवरमाइंड कहा है। शास्त्रों में लिखा गया है-
कलिः शयानों भवति सजिहानस्तु द्वापरः ।
उत्तिष्ठन्त्रेता भवति कृतं संपद्यते चरम् ॥
चरैवेति-चरैवेति
अर्थात् सोते रहना ही कलियुग है, जागरणोपरांत जम्हाई लेना द्वापर है, उठ पड़ना ही त्रेता है, उठकर अपने लक्ष्य के लिए गतिशील हो जाना ही सतयुग है, अतएव लक्ष्य प्राप्ति के लिए चलते रहो, आगे बढ़ते रहो।
द्वापर युग में धर्म ने जम्हाई लेना शुरु कर दिया था, मनुष्य का जीवन तभी सार्थक है जब मनुष्य जीवन को धर्म के साथ जिए, श्रीकृष्ण को छलिया कहा जाता है, परंतु श्री कृष्ण छल करते भी हैं तो केन्द्र में धर्म ही है। मनुष्य की एक विशेषता है या उसकी दुर्बलता थोड़ी सी विशिष्ट सामर्थ्य होने पर मनुष्य के अंदर अहंकार उत्पन्न हो जाता है, श्रीकृष्ण अहंकार के शत्रु हैं, क्योंकि अहंकार ही मनुष्य के पतन का मुख्य कारण है इसलिए श्रीकृष्ण ने समय-समय के पर अर्जुन, भीम, दुर्योधन सबका अहंकार तोड़ा है, हमारे यहां एक लोककहावत है 'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।' वास्तव में मनुष्य का मनोबल ही श्रेष्ठ है जब पांडवों को खाण्डवाप्रस्थ मिलता है, तब पांडव सर्पयुक्त जंगल को देखकर बहुत दुखी होते हैं, श्रीकृष्ण कहते हैं सामर्थ्यवान व्यक्ति परिस्थितियों से और मजबूत बनता है नाकि परिस्थितियों से रोता है। मनुष्य के पास अगद दृढ़ इच्छाशक्ति है तो वह परिस्थितियों को मात सकता है।
दुर्योधन के छल के कारण जब शैल्य को कर्ण का सारथी बनना पड़ता है तब कृष्ण उन्हें समझाते हैं कि आप प्रत्येक क्षण कर्ण का मनोबल कम करते रहियेगा उसकी दुर्बलताओं और पाण्डवों की विशेषताओं को हमेशा स्मरण कराते रहियेगा।
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin August 2022 sayısından alınmıştır.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।