अध्ययनों से यह पता चला है कि हर तीन में से एक व्यक्ति को जीवन के किसी भी मोड़ पर कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। यह सही है कि कैंसर बहुधा अधिक उम्र लोगों को होता है। कैंसर के सत्तर प्रतिशत मरीज साठ वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति होते हैं लेकिन कैंसर को विकसित होने में वर्षों लगते हैं इसलिए वस्तुत कैंसर बनने की प्रक्रिया युवावस्था में ही शुरू हो जाती है।
पिछले बीस वर्षों में 'ब्रेन ट्यूमर' की संख्या दुनिया में लगभग दो गुना हो चुकी है। हालांकि फेफड़ें और पेट के कैंसर से मरने वालों की संख्या में कमी आई है, लेकिन महिलाओं में 'स्तन कैंसर' पुरुषों में 'ब्रेन मैरो कैंसर' तथा दोनों में 'त्वचा कैंसर' से मरने वालों की संख्या में अभी भी वृद्धि जारी है।
अगर किसी को कैंसर हो जाता है तो घबराने की जरूरत नहीं है। फर्स्ट स्टेज पर पता चलने पर तत्काल इलाज शुरू कराकर इससे निजात पाया जा सकता है। अभी फर्स्ट स्टेज के कैंसर पीड़ितों में 90 फीसदी को बचा लिया जाता है। वहीं सेकेंड स्टेज में भी पता चलने पर 70-75 फीसदी पेशेंट्स को बचा लिया जाता है। इसी तरह थर्ड स्टेज में 60 फीसदी और फोर्थ स्टेज में भी लगभग 25 फीसदी कैंसर पीड़ितों को बचाया जा सकता है। समझदारी इसी में है कि कैंसर के लक्षण दिखाई देते ही जल्द से जल्द किसी कैंसर विशेषज्ञ को दिखाएं। ताकि समय पर इलाज शुरू होकर कैंसर को खत्म किया जा सके। कैंसर से निपटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इस संबंध में जागरुकता फैलाना। भारत के ग्रामीण इलाकों समेत एक बड़े भाग में आज भी कैंसर के प्रति कई भ्रम हैं, जैसे कैंसर का कोई इलाज संभव नहीं है। अगर हमें कैंसर को मिटाना है तो सबसे पहले जागरुकता लानी आवश्यक है।
क्या है कैंसर?
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin November 2022 sayısından alınmıştır.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
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सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
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लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
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