बुद्ध ने मानव की मनोवृत्ति में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए अपने उपदेशों को गाथाओं के माध्यम से तत्कालीन जनभाषा का प्रयोग कर सही मार्ग प्रस्तुत किया? उनका ऐसा ही एक प्रसंग आइए जानते हैं:- सेतव्य नगर के दो व्यापारी चूलकाल और महाकाल भगवान बुद्ध के पास जाकर प्रव्रजित (संन्यस्त) हो गए। महाकाल जो बड़ा था, प्रव्रजित होने के बाद थोड़े ही दिनों में अर्हत्व पा लिया था। किंतु चूलकाल प्रव्रजित होने पर भी उसका मन गृहस्थी और काम भोग विलास की सोच में ही लगा रहा। एक समय भगवान उनके साथ जब सेतव्य नगर गए, तब चूलकाल को स्त्रियों ने पकड़कर श्वेत वस्त्र पहना दिए। दूसरे दिन महाकाल को भी वैसा ही करना चाहा जैसा चूलकाल के साथ किया लेकिन महाकाल अपने बुद्धिबल से निकल आए। भिक्षुओं ने ऐसा देखते हुए भगवान से पूछा तब भगवान ने कहा, भिक्षुओं, चूलकाल उठते-बैठते शुभ ही शुभ देखता विचारता था, जैसे कि झरने के तट पर कोई दुर्बल वृक्ष हो, किंतु शुभ देखते हुए वि वाला महाकाल शैल पर्वत के समान अचल है। कहकर इन गाथाओं को कहा-
सुभानुपस्सिं विहरन्तं इन्द्रियेसु असंवतं।
भोजनम्हि अमत्तमञ्जु कुसीतं हीनवीरियं।
तं वे पसहति मारो वातो रूख्खं व दुब्बल॥
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin May 2023 sayısından alınmıştır.
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।