लेखन और गायन में कबीर
Sadhana Path|July 2023
'कबीरदास' वो नाम है जिसके बारे में शायद ही किसी ने न सुना हो । कबीर अपने आप में समाज का वो 'आईना' है जिसकी जरूरत हर दौर में होगी। कबीर का सम्बन्ध भक्ति काल से है ऐसी भक्ति जिसके बारे में वो कहते हैं कि-
सृष्टि मिश्रा
लेखन और गायन में कबीर

'माला जपूं न कर जपूं मुख से कहूं न राम, राम हमारा हमें जपे हम पायो विश्राम'

कबीर के राम की व्याख्या कर पाना आसान नहीं है। कबीर वाराणसी में जन्मे और मगहर में अंतिम सांस ली। ऐसी मान्यता थी कि वाराणसी में मृत्यु होने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और मगहर में मरने से नर्क मिलता है । इस रूढ़िवादी सोच को तोड़ने के लिए कबीर अपने अंतिम दिनों में मगहर चले गए थे। उनका मानना था कि ये सब रूढ़िवादी सोच है ऐसा कुछ नहीं होता है।

‘क्या काशी क्या ऊसर मगहर, राम हृदय बस मोरा,

जो कासी तन तजै कबीरा रामे कौन निहोरा'

कबीर ये कहते हुए इन तमाम रूढ़ियों पर पानी फेर देते हैं। यही है कबीर जिनका मकाम बहुत ऊपर है । कबीर का एक न एक दोहा हम सभी को याद होगा ही लेकिन क्या हम अपने जीवन में कबीर को उतार पाए हैं? ये सबसे अहम सवाल है । कबीर एक ऐसा विषय है जिन्हें जानने के बाद लगता है कि इन्हें और जानना चाहिए। फिर उनके कहने का अंदाज तो है ही सबसे निराला। कबीर जिस तरह समाज की कुरीतियों और पाखंड का विरोध करते हैं वो अद्भुत है, उन्हें पढ़कर ऐसा लगता है कि जैसे घर का कोई बुजुर्ग अपने परिवार को सही तरह से जीवन जीने का ज्ञान देता हो । कबीर पर काफी कुछ लिखा गया है। उन्हें गाया भी गया है। आज भी उन पर काफी काम किया जा रहा है, जो कि काबिल-ए-तारीफ है। तो आइए जानते हैं कबीर की अद्भुत रचनाओं के बारे में जिन्हें सुनने के बाद आप कबीर के जहान में प्रवेश करने को आतुर हो जाते हैं। इसके साथ ही वर्तमान में कबीर पर कितना काम जारी है और कितना कुछ हमारे सामने आने वाला है। इस पर भी गौर करेंगे।

Bu hikaye Sadhana Path dergisinin July 2023 sayısından alınmıştır.

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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
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सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
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सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक

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