जहां लक्ष्मी है वहां उल्लू है और जहां उल्लू है वहां उसकी स्वभावगत विशेषता का होना भी नैसर्गिक है। यही वजह है कि द्यूतक्रीड़ा (जुआ) प्रत्येक देश में तथा हर जमाने में अलग-अलग रूपों में मौजूद रही है तथा इसमें अपना वर्तमान तथा भविष्य लुटा देने वालों की भी कमी नहीं रही।
मनोरंजन के ही एक साधन के रूप में वैदिक काल से ही द्यूतक्रीड़ा की परंपरा रही है। उत्तर वैदिक साहित्य में हमें इसकी विस्तार से विवेचना मिलती है। खुदाई से हासिल सामग्रियां भी इस बात का प्रमाण हैं कि मनोरंजन के एक साधन के रूप में इसका प्रचलन आम एवं खास दोनों वर्गों में था। वैदिक साहित्य में हमें पांसों की विवेचना मिलती है। ये पांसे खासतौर पर चौकोर होते थे और इनका उपयोग 'चौपड़' खेलने में किया जाता था। कौटिल्य ने पांसों के लिए वाकड़ी अथवा कौड़ी शब्द का उपयोग किया। तत्कालीन साहित्य में यह भी जानकारी मिलती है कि तब प्रत्येक नगर में द्यूतक्रीड़ा या जुआ खेलने के लिए द्यूतगृह अलग से बनाए जाते थे। वहां जाकर लोग इस खेल से अपना मनोरंजन करते थे। 'द्यूताध्यक्ष' शब्द की भी विवेचना कहीं-कहीं मिलती है। यह वह व्यक्ति होता था जिस पर इस खेल को शांतिपूर्वक या नियमों के अधीन संचालित करने की जिम्मेदारी होती थी। इसके एवज में वह खेलने वालों से एक तय रकम लेता था और अपनी इस आय के बदले राजा को कर देता था।
रामायण महाभारत में भी है जुए का उल्लेख
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin November 2023 sayısından alınmıştır.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।