क्या है दिवाली पूजन की सही विधि?
Sadhana Path|November 2023
मां लक्ष्मी धन व समृद्धि की देवी हैं। दीपावली पर लोग इनकी आराधना कर सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं। तो आइये, जानते हैं मां लक्ष्मी की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने के सरल उपाय।
क्या है दिवाली पूजन की सही विधि?

• दीपावली पर्व पांच पर्वों से मिलकर बना है- धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा तथा यम द्वितीया। पांचों दिन संध्या के समय घर में कम से कम पांच दीपक (चार छोटे तथा एक बड़ा) अवश्य जलाएं। दीपक कभी सीधे भूमि पर न रखें, उसके नीचे आसन अवश्य दें। जैसे पहले थोड़े खील या चावल रखें फिर उस पर दीपक रखें। 

• नरक चतुर्दशी को संध्या समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा छत के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं। उनके आशीर्वाद से समृद्धि प्राप्त होगी।

लक्ष्मी पूजन विधि

• आचमन और प्राणाम करके दाएं हाथ में जल, कुमकुम, अक्षत तथा पुष्प लेकर इस प्रकार संकल्प करें, आज परम मंगलकारी कार्तिक मास की अमावस्या को मैं (अपना नाम, उपनाम गोत्र बोलें) चिर लक्ष्मी की प्राप्ति नीतिपूर्वक अर्थ उपार्जन, सभी कष्टों को दूर करने की अभिलाषा की पूर्ति तथा आयुष्य- आरोग्य की वृद्धि के साथ राज्य, व्यापार, उद्योग आदि में लाभ के लिए गणपति, नवग्रह, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती का श्रद्धा भाव से पूजन करता हूं।

• इसके बाद हाथ में ली हुई सामग्री धरती पर छोड़कर तिलक लगाएं तथा कलावा बांधें। अब गणपति भगवान का पूजन करें। उन्हें स्नान कराकर जनेऊ, वस्त्र, कलश, कुमकुम, केसर, अक्षत, पुष्प, गुलाल और अबीर चढ़ाकर गुड़ तथा लड्डू का नैवेद्य अर्पित करें। फिर निम्नोक्त मंत्र का उच्चारण करते हुए ध्यान करें।

ॐ गणपतेय नमः

एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥ 

इसी प्रकार नवग्रह का ध्यान करें।

ब्रह्मामुररिस्त्रिपुरान्तारी भानुः शशि भूमि सुतो बुधश्च

गुरुश्च शुक्र: शनिराहु केतवः सर्वे ग्रहाः शान्ति करा भवन्तु॥

• अब महालक्ष्मी पूजन के लिए चांदी का सिक्का थाली में रखें। आवाहन के लिए अक्षत अर्पित करें, जल से तीन बार अर्घ्य दें और स्नान कराएं। फिर दूध, दही, घी, शक्कर तथा शहद से स्नान कराकर पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं। कलावा, केसर, कुमकुम, अक्षत, पुष्प माला, गुलाल, अबीर, मेहंदी, हल्दी, कमलगट्टे तथा मिष्ठान्न अर्पित करके एक सौ आठ बार एक-एक नाम बोलकर अक्षत चढ़ाएं।

Bu hikaye Sadhana Path dergisinin November 2023 sayısından alınmıştır.

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