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असल में हमारा शरीर असंख्य सेल्स से बना है। आमतौर पर हेल्दी सेल शरीर की आवश्यकतानुसार बनते और विभाजित होते रहते हैं। एक समय के बाद ये अपने-आप नष्ट हो जाते हैं और इनकी जगह नए सेल्स का निर्माण होते रहते हैं। शरीर का इम्यून सिस्टम अपने टी-सेल्स की बदौलत शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को पहचान कर उन्हें नष्ट करता रहता है, जिससे हेल्दी सेल्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन जब इंफेक्शन या अन्य कारणों से सेल-निर्माण की इस प्रक्रिया में कोई रुकावट आती है, तो कैंसर की शुरुआत होती है। नष्ट न होने के कारण पुराने और विभाजित सेल्स बने रहते हैं। इनके साथ ही कई नए असामान्य सेल्स का निर्माण होता रहता है जो अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। ये सेल्स तेजी से मल्टीप्लाई होकर छोटे-से ट्यूमर या कैंसर का रूप ले लेते हैं। इम्यूनोसप्रेस्ड स्थिति आ जाती है। यानी इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है जिससे वह कैंसर सेल्स को पहचान कर नष्ट नहीं कर पाती । ये कैंसर्स सेल्स अपने आसपास मौजूद टिशूज, सेल्स को नष्ट और दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगते हैं।
उपचार की परंपरागत विधियां कितनी कारगर
कैंसर के उपचार मूल रूप से 3 तरीके से किया जाता है- कीमोथेरेपी में दवाइयों के माध्यम से शरीर में तेजी से मल्टीप्लाई हो रहे सेल को नष्ट किया जाता है, सर्जरी में कैंसर के हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है और रेडिएशन थेरेपी में हाई लेवल की रेडिएशन से कैंसर के सेल्स को जलाकर नष्ट किया जाता है। लेकिन ये थेरेपी कई बार कैंसरस सेल्स के साथ हेल्दी सेल पर भी अटैक करती है, जिससे इसके साइड इफेक्ट काफी देखने को मिलते हैं जैसे- बालों का गिरना (बालों के हेयर फॉलिजन बहुत तेजी से डिवाइड होते हैं और कटवाने के दो महीने बाद दोबारा बढ़ जाते हैं), लूज मोशन आने लगते हैं (क्योंकि पेट का म्यूकोजा से डिवाइड होता है)।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin March 2024 sayısından alınmıştır.
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देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग
विविधता में एकता वाले हमारे इस देश में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं। हालांकि यहां विभिन्न क्षेत्रों में त्योहार मनाने के ढंग अलग होते हैं, पर सभी त्योहारों के पीछे उद्देश्य एक ही होता है अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना तथा हर्षोल्लास से एक साथ मिलकर अपनी खुशियों को बढ़ाना।
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बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो अपने साथ प्राकृतिक सौंदर्य हीं नहीं लाती बल्कि मनुष्य के मन में उमंग और हर्षोल्लास भी लाती है। ऋतुओं के राजा बसंत के साथ और क्या-क्या जुड़ा है ? जानिए इस लेख से।
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यूं तो हर इंसान का प्रेम अपने आप में सम्पूर्ण व अनुकरणीय होता है परन्तु कुछ लोगों का प्रेम इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाता है। आइये नमन करें कुछ ऐसे ही प्रेम के प्रतीकों को।
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अपने पारिवारिक जीवन की चर्चा या कोई उलझन कभी किसी पुरुष सहयोगी के सामने बयां न करें अन्यथा वह सहानुभूति दर्शाकर सहयोग देने की पेशकश करेगा और अंततः आपके दुख, जो दुख न होकर सिर्फ क्षणिक क्रोध था, को हवा देगा।
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कई लोगों को घूमने का शौक तो होता है, पर वह सफर में होने वाली मोशन, सिकनेस के डर से कहीं बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में परेशान होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि आपके किचन में ही इनके समाधान मौजूद है।
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विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी पवित्र हिन्दू त्योहार है। एक इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
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अभी तक ज्यादातर मामलों में कैंसर को आनुवंशिक माना गया था | नए अनुसंधानों में पता चला है कि कैंसर के कारण काफी हद तक अस्वस्थ जीवनशैली और असंतुलित आहार में होते हैं।
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अखरोट खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद भी होता है। आखिर अखरोट खाने के क्या हैं फ़ायदे, यह किस तरह से और किस समय खाना चाहिए, आइए जानें-
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सफर के दौरान खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि सफर का लुत्फ तभी लिया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य अच्छा हो।
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नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी
प्रकृति में बसंत के आगमन की टोह मन में एक नए उल्लास, आशा एवं अचानक ही लगता है कि मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन में भावों की पावन धाराएं बहने लगी हैं और हमारे तन, मन और व्यवहार में सुंदर एवं सुमधुर अभिव्यक्तियां झलकने लगती हैं। कहते हैं, प्रकृति जब मुस्कुराने लगती है, तब उसके अंतर्गत आने वाले सभी जड़-जीव एवं मनुष्यों में मुस्कुराहट फैल जाती है।