सूर्यग्रहण एवं इससे जुड़ी सावधानियां
Sadhana Path|April 2024
जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूर्ण या आंशिक रूप से एक रेखा में आ जाते हैं। वे संरेखित होकर एक अनोखा व रोमांचक दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो पृथ्वी वासियों के लिए अत्यंत कौतूहल का विषय बन जाती है।
आर्या झा
सूर्यग्रहण एवं इससे जुड़ी सावधानियां

भारतीय मनीषियों के अनुसार सूर्यग्रहण का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वैसे तो सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है मगर इसका बहुत अधिक ज्योतिषीय व वैज्ञानिक महत्व होता है। ग्रहण का देश-दुनिया पर शुभ व अशुभ दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है। विज्ञान के साथ-साथ इसका अध्यात्म में भी काफी अधिक महत्व है। सबसे पहले हम ग्रहण के पीछे की पौराणिक कथा जानेंगे।

ग्रहण के पीछे की पौराणिक कथा

विज्ञान के अनुसार जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आ जाते हैं सूर्य ग्रहण लगता है लेकिन इसके पीछे कुछ पौराणिक मान्यता है कि राहु केतु के कारण ग्रहण की स्थिति बनती है। सूर्य ग्रहण को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन शुरू हुआ तो उसमें से अमृत कलश निकला। देवताओं और दैत्यों में अमृत कलश को लेकर विवाद शुरू हो गया। देवताओं को चिंता थी कि यदि दैत्यों अमृत पीलिया तो दैत्य अमर हो जाएंगे और हर जगह इनका राज्य हो जाएगा तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और दैत्यों से अमृत का कलश लेकर देवताओं को अमृतपान करा दिया लेकिन

देवताओं के बीच में राहु रूप बदलकर बैठ गया था। चंद्रमा और सूर्य ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को यह बात बता दी, जिसे सुनकर भगवान विष्णु ने तुरंत ही सुर्दशन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया मगर तब तक उन्होंने अमृत का बूंद ग्रहण कर लिया था इसलिए सिर और धड़ अलग हो जाने के उपरांत भी जीवित रहा। उनका सिर राहु और शरीर केतु बन गया। अपनी इस स्थिति के लिए चंद्र और सूर्य को जिम्मेदार मानने वाले राहु व केतु इसी बात का बदला लेने के लिए चंद्र और सूर्य पर समय-समय पर आक्रमण करते हैं। इसी प्रक्रिया में ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण के कितने प्रकार हैं हम इसके विषय में जानेंगे-

सूर्यग्रहण के प्रकार

जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जिससे पृथ्वी पर छाया पड़ती है। जो कुछ क्षेत्रों में सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर देती है। ऐसा कभी-कभार ही होता है, क्योंकि चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी की तरह ठीक उसी तल में परिक्रमा नहीं करता है। जिस समय वे संरेखित होते हैं उसे ग्रहण ऋतु रूप में जाना जाता है, जो वर्ष में दो बार होता है।

Bu hikaye Sadhana Path dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Sadhana Path dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

SADHANA PATH DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
Sadhana Path

तुलसी से दूर करें वास्तुदोष

हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।

time-read
2 dak  |
November 2024
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
Sadhana Path

क्यों हुआ तुलसी का विवाह?

कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।

time-read
4 dak  |
November 2024
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
Sadhana Path

बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

time-read
7 dak  |
November 2024
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
Sadhana Path

सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक

सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।

time-read
5 dak  |
November 2024
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
Sadhana Path

सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन

भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।

time-read
5 dak  |
November 2024
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
Sadhana Path

एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'

छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।

time-read
7 dak  |
November 2024
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
Sadhana Path

जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया

सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।

time-read
3 dak  |
November 2024
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
Sadhana Path

सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ

अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?

time-read
3 dak  |
November 2024
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
Sadhana Path

लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा

लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-

time-read
5 dak  |
November 2024
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
Sadhana Path

योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति

हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।

time-read
2 dak  |
November 2024