संस्कृति और समृद्धि का त्यौहार - ओणम
Sadhana Path|September 2024
ओणम दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक रवास पर्व है। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व की रौनक देखते ही बनती है। इस पर्व के महत्त्व व इसके इतिहास पर आइए डालते हैं एक नजर।
संस्कृति और समृद्धि का त्यौहार - ओणम

दक्षिण भारत के अहम् पर्व-त्योहारों में से एक है ओणम। यूं तो ओणम का त्योहार संपूर्ण दक्षिण भारतीय राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन केरल में इस त्योहार की विशेष धूम रहती है। वस्तुतः भारत में जहां-जहां मलयाली आबादी है, वहां भी यह त्योहार बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

मलयाली पंचांग के अनुसार, यह त्योहार 'चिंगम' अर्थात अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक रहता है। दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में केरल की सांस्कृतिक परंपरा अपने सर्वोत्तम रूप में प्रकट होती है। लोग मंदिर की बजाय अपने घरों में ही देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं, विशेष पकवान बनाते हैं और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस वर्ष यह त्योहार 6 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर तक मनाया जाएगा। ओणम का यह त्योहार एक तरफ असुर राजा महाबलि और विष्णु अवतार वामन से जुड़ा है तो दूसरी तरफ इस त्योहार का संबंध फसल और किसानों से भी है। अगस्त-सितंबर माह में फसलें पककर तैयार हो जाती हैं। इन फसलों में अदरक, इलायची, चाय और धान विशेष उल्लेखनीय हैं। लहलहाते खेत-खलिहान एक मनोहारी छटा बिखेरती हैं। फसलों की सुरक्षा तथा अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु किसान श्रावण देवता एवं पुष्प देवी की अराधना करते हैं। इस कारण इसे केरल का कृषि पर्व भी कहा जाता है।

ओणम का इतिहास

Bu hikaye Sadhana Path dergisinin September 2024 sayısından alınmıştır.

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