सर्दी के मौसम में बढ़ती ठंड हर किसी को प्रभावित करती है, जिसका असर कई बार हमारे स्वास्थ पर पड़ता है। क्योंकि अब लोगो की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी स्ट्रांग नहीं होती, जितनी होनी चाहिए। क्योंकि सुपर मार्केट और स्टोरेज की आधुनिक तकनीक के कारण सभी कच्चे खाद्य पदार्थ साल भर उपलब्ध रहते हैं। लगातार सभी तरह के खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के कारण हम मौसमी खाद्य पदार्थ का महत्व भूलने लगे हैं। अगर हम मौसम के अनुसार खाद्य पदार्थों को खाते हैं तो इसके अपने फायदे होते हैं। सर्दियों में खाए जाने वाले फल और सब्जियां स्वाद में अच्छी लगती है। उनका स्वाद जबर्दस्त होता है और वह पौष्टिकता के लिहाज से बेहतर होती है। उनमें पाए जाने वाले विटामिन, मिनरल और फाइटोकेमिकल अपने ताजे रूप में मौजूद रहते हैं। फल और सब्जियों के अलावा आप हल्दी, सोंठ, अदरक, ड्राई फ्रूट, तिल, मक्का और लहसुन आदि का सेवन कर सकते हैं।
मक्का
सर्दियों में मक्के की रोटी खाइए क्योंकि इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे पूरे दिन हम एक्टिव रहते हैं । मक्के की रोटी में मौजूद फाइबर हमारी आंतों की कार्यप्रणाली को नियमित करता है, भोजन को धीरे-धीरे पचाता है, जिससे ब्लड शुगर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल स्थिर रखने में मदद मिलती है।
राजगिरा
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin November 2024 sayısından alınmıştır.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।