उपचार शब्द सुनते ही मन में बाहरी चीज़ों का ध्यान आता है। बचपन में सुना था, जले कटे पर हल्दी लगा लो, ऐसा हो गया तो ये दवा ले लो, वैसा हो गया तो वो उपचार करा लो। क्या कभी सोचा था कि असंख्य रोगों के उपचार शरीर के भीतर भी हो सकते हैं? मर्म चिकित्सा पद्धति यही कहती है।
क्या है मर्म चिकित्सा?
यह अपने अंदर की शक्ति को पहचानने जैसा है। शरीर की स्वचिकित्सा शक्ति (सेल्फ हीलिंग पावर) यानी प्राण शक्ति को उत्प्रेरित करना ही मर्म चिकित्सा है। मर्म चिकित्सा में सुख एवं शांति का अहसास होता है। जिसके द्वारा मन-मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने से शरीर में पुनः नियंत्रण स्थापित होने लगता है और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने से रोग स्वतः ठीक होने लगता है।
संस्कृत वाक्यांश 'मृयताए अस्मिन् इति मर्म' का अर्थ है'इन बिंदुओं पर चोट लगने पर मृत्यु या स्वास्थ्य को गंभीर नुक़सान की आशंका'। संस्कृत में मर्म का अर्थ गुप्त या छिपा हुआ भी होता है। परिभाषा के अनुसार, मर्म बिंदु शरीर पर एक ऐसा जंक्शन होता है जहां कई प्रकार के ऊतक मिलते हैं, जैसे नसें, मांसपेशियां, हड्डियां, स्नायुबंधन या जोड़ । शरीर और चेतना में 107 बिंदुओं या 'द्वारों' का उपयोग करते हुए, मर्म चिकित्सा आयुर्वेद में ऊर्जा उपचार का प्रतीक है। प्रत्येक बिंदु 'चक्रों' को रास्ता देती है- 'सूक्ष्म' शरीर में रीढ़ के साथ कंपन ऊर्जा केंद्र इस प्रकार अवरुद्ध ऊर्जा को मुक्त करते हैं और प्राणिक प्रवाह को उत्तेजित करते हैं जो शरीर में गति का स्रोत है।
Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin November 2024 sayısından alınmıştır.
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