पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
Aha Zindagi|November 2024
अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।
डॉ. सौरभ जैन
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा

एक भला-पूरा भाषायी संपन्न मध्यमवर्गीय परिवार था। भाषा ज्ञान ही इस परिवार की कुल जमापूंजी थी। यहां किसी आगंतुक को पानी देते हुए 'लीजिए जल पीजिए' कहा जाता था। इतना आदर और सम्मान पाकर मेहमान के मन के साथ भाषा का सौंदर्य भी निखर उठता था। पंखे को फैन समझने वाली नई पीढ़ी के दौर में इस घर में इतनी शुद्ध भाषा का उपयोग किसी कल्पना की तरह ही लगता है। यहां संस्कार, संस्कृति और सभ्यता के ट्रिपल एस वाले माहौल में गुजर-बसर हो रही थी। बच्चों में लेखन, पाठन के प्रति रुचि थी। आपसी विवाद भी पहले किताब पढ़ने की होड़ के ही होते थे। जिज्ञासाओं के हल के लिए निर्भरता भी इन्हीं किताबों पर थी। पहले के ज़माने के लोगों को असभ्य और अशिक्षित कहा जाता था, लेकिन तब उनके पास भाषा थी। आज के दौर के लोग सभ्य और शिक्षित हैं, लेकिन अब वे अपनी भाषा खो चुके हैं।

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin November 2024 sayısından alınmıştır.

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वन के दम पर हैं हम
Aha Zindagi

वन के दम पर हैं हम

भौतिक विकास के रथ पर सवार मानव स्वयं को भले ही सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थ समझ ले, किंतु उसका जीवन विभिन्न जीव-जंतुओं से लेकर मौसम और जल जैसे प्रकृति के आधारभूत तत्वों पर आश्रित है।

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6 dak  |
March 2025
दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!
Aha Zindagi

दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!

जब भी पानी की बर्बादी की बात होती है तो अक्सर लोग नल से बहते पानी, प्रदूषित होते जलस्रोत या भूजल के अंधाधुंध दोहन की ओर इशारा करते हैं।

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4 dak  |
March 2025
वन का हर घर मंदिर
Aha Zindagi

वन का हर घर मंदिर

जनजाति समाज घर की ड्योढ़ी को भी देवी स्वरूप मानता है। चौखट और डांडे में देवता देखता है। यहां तक कि घर के बाहर प्रांगण में लगी किवाडी पर भी देवता का वास माना जाता है।

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3 dak  |
March 2025
ताक-ताक की बात है
Aha Zindagi

ताक-ताक की बात है

पहले घरों में ताक होते थे जहां ज़रूरी वस्तुएं रखी जाती थीं। अब सपाट दीवारें हैं और हम ताक में रहने लगे हैं।

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2 dak  |
March 2025
किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.
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किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.

बॉलीवुड में उनका प्रवेश मानो फूलों की राह पर चलकर हुआ। उनकी शुरुआती दो फिल्मों- कहो ना प्यार है और ग़दर-ने इतिहास रच दिया। बाद में भी कई अच्छी फिल्मों से उनका नाम जुड़ा।

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10+ dak  |
March 2025
फ़ायदे के रस से भरे नींबू
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फ़ायदे के रस से भरे नींबू

रायबरेली के 'लेमन मैन' आनंद मिश्रा को कौन नहीं जानता! अच्छी आय की नौकरी को छोड़कर वे पैतृक गांव में लौटे और दो एकड़ कृषि भूमि पर नींबू की खेती करके राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रस्तुत है, उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।

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3 dak  |
March 2025
जहां देखो वहां आसन
Aha Zindagi

जहां देखो वहां आसन

योगासन शरीर को तोड़ना-मरोड़ना नहीं है, बल्कि ये प्रकृति की सहज गतियां और स्थितियां हैं। आस-पास नज़रें दौड़ाकर देखने से पता लगेगा कि सभी आसन जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से ही प्रेरित हैं, चाहे वो जंगल का राजा हो, फूलों पर मंडराने वाली तितली या ताड़ का पेड़।

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2 dak  |
March 2025
बांटने में ही आनंद है
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बांटने में ही आनंद है

दुनिया में लोग सामान्यत: लेने खड़े हैं, कुछ तो छीनने भी । दान तो देने का भाव है, वह कैसे आएगा! इसलिए दान के नाम पर सौदेबाज़ी होती है, फ़ायदा ढूंढा जाता है। इसके ठीक उलट, वास्तविक दान होता है स्वांतः सुखाय- जिसमें देने वाले की आत्मा प्रसन्न होती है।

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4 dak  |
March 2025
Aha Zindagi

बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

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3 dak  |
March 2025
बहानेबाज़ी भी एक कला है!
Aha Zindagi

बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

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3 dak  |
March 2025