हरफ़नमौला सचिन
Aha Zindagi|December 2024
साठ की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते जहां लोग अपने काम से थक जाते हैं, रिटायर हो जाते हैं, वहां सचिन पिलगांवकर फिल्म जगत में छह दशक से अधिक के सफ़र के बाद भी बचपन की ऊर्जा और उत्साह से लबालब हैं। साढ़े चार साल की उम्र में उठे उनके क़दम पकी उम्र में पहुंचकर भी नवेली राहें बना रहे हैं। बाल कलाकार के रूप में शुरुआत के बाद उन्होंने नायक, लेखक, निर्देशक, निर्माता, फिल्म संपादक, गायक, संगीतकार, नर्तक, कोरियोग्राफर जैसी तमाम भूमिकाएं निभाई और अब रेडियो शो लेकर आ रहे हैं। क्या है सड़सठ की वय में उनके मासूमियत से भरे जोश और जज़्बे का राज़, अपनी जीवनयात्रा के साथ बता रहे हैं ख़ुद सचिन, इस माह के अहा! अतिथि के रूप में...
सुधा उपाध्याय
हरफ़नमौला सचिन

अभिनय की राह पर नन्हे क़दम

सचिन ने बाल कलाकार के रूप में अपनी पहली ही फिल्म के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया। यानी पूत के पांव पालने में ही दिखने लगे थे।

साढे चार साल की उम्र से मनोरंजन जगत में सक्रिय सचिन पिलगांवकर अपनी पहली ही फिल्म 'हा माजा मार्ग एकला' के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हाथों सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। कॅरियर के 61वें वर्ष में प्रवेश कर चुके सचिन अभिनय, लेखन, निर्देशन, निर्माण, गीत, संगीत, नृत्य आदि विधाओं में अपना हुनर दिखा चुके हैं, अब वे नई विधा रेडियो शो के तहत अनसुनी बातों सहित अपने गायन से श्रोताओं का मनोरंजन करने जा रहे हैं।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी सचिन ने एक लंबे साक्षात्कार में सुनाई अपने लंबे सफ़र की कहानी। प्रस्तुत हैं उसके मुख्य अंश, उन्हीं की ज़बानी।

किरायेदार की मदद से शुरू हुआ कॅरियर

मेरा जन्म 17 अगस्त, 1957 को मुंबई में हुआ। पिताजी साझेदारी में प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे। उन्होंने जमापूंजी तो नहीं लगाई थी, पर काम करने के एवज़ में फ़ायदे में हिस्सेदारी लेते ', थे। मेरी मां गृहिणी थीं। उस वक़्त मेरी बहन नहीं हुई थी, घर में मैं इकलौता था। पिताजी का सपना था कि उनका बेटा राजकपूर बने, क्योंकि वे उनके बड़े प्रशंसक थे। राजकपूर बनूं मतलब उनकी तरह अभिनेता, निर्माता और निर्देशक। लेकिन मनोरंजन जगत में हमारी दूर-दूर तक कोई जान-पहचान नहीं थी, सो सपना कैसे पूरा होगा इसका अंदाज़ा नहीं था।

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin December 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin December 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

AHA ZINDAGI DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
वन के दम पर हैं हम
Aha Zindagi

वन के दम पर हैं हम

भौतिक विकास के रथ पर सवार मानव स्वयं को भले ही सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थ समझ ले, किंतु उसका जीवन विभिन्न जीव-जंतुओं से लेकर मौसम और जल जैसे प्रकृति के आधारभूत तत्वों पर आश्रित है।

time-read
6 dak  |
March 2025
दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!
Aha Zindagi

दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!

जब भी पानी की बर्बादी की बात होती है तो अक्सर लोग नल से बहते पानी, प्रदूषित होते जलस्रोत या भूजल के अंधाधुंध दोहन की ओर इशारा करते हैं।

time-read
4 dak  |
March 2025
वन का हर घर मंदिर
Aha Zindagi

वन का हर घर मंदिर

जनजाति समाज घर की ड्योढ़ी को भी देवी स्वरूप मानता है। चौखट और डांडे में देवता देखता है। यहां तक कि घर के बाहर प्रांगण में लगी किवाडी पर भी देवता का वास माना जाता है।

time-read
3 dak  |
March 2025
ताक-ताक की बात है
Aha Zindagi

ताक-ताक की बात है

पहले घरों में ताक होते थे जहां ज़रूरी वस्तुएं रखी जाती थीं। अब सपाट दीवारें हैं और हम ताक में रहने लगे हैं।

time-read
2 dak  |
March 2025
किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.
Aha Zindagi

किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.

बॉलीवुड में उनका प्रवेश मानो फूलों की राह पर चलकर हुआ। उनकी शुरुआती दो फिल्मों- कहो ना प्यार है और ग़दर-ने इतिहास रच दिया। बाद में भी कई अच्छी फिल्मों से उनका नाम जुड़ा।

time-read
10+ dak  |
March 2025
फ़ायदे के रस से भरे नींबू
Aha Zindagi

फ़ायदे के रस से भरे नींबू

रायबरेली के 'लेमन मैन' आनंद मिश्रा को कौन नहीं जानता! अच्छी आय की नौकरी को छोड़कर वे पैतृक गांव में लौटे और दो एकड़ कृषि भूमि पर नींबू की खेती करके राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रस्तुत है, उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।

time-read
3 dak  |
March 2025
जहां देखो वहां आसन
Aha Zindagi

जहां देखो वहां आसन

योगासन शरीर को तोड़ना-मरोड़ना नहीं है, बल्कि ये प्रकृति की सहज गतियां और स्थितियां हैं। आस-पास नज़रें दौड़ाकर देखने से पता लगेगा कि सभी आसन जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से ही प्रेरित हैं, चाहे वो जंगल का राजा हो, फूलों पर मंडराने वाली तितली या ताड़ का पेड़।

time-read
2 dak  |
March 2025
बांटने में ही आनंद है
Aha Zindagi

बांटने में ही आनंद है

दुनिया में लोग सामान्यत: लेने खड़े हैं, कुछ तो छीनने भी । दान तो देने का भाव है, वह कैसे आएगा! इसलिए दान के नाम पर सौदेबाज़ी होती है, फ़ायदा ढूंढा जाता है। इसके ठीक उलट, वास्तविक दान होता है स्वांतः सुखाय- जिसमें देने वाले की आत्मा प्रसन्न होती है।

time-read
4 dak  |
March 2025
Aha Zindagi

बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

time-read
3 dak  |
March 2025
बहानेबाज़ी भी एक कला है!
Aha Zindagi

बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

time-read
3 dak  |
March 2025