पर उनके शरीर में बड़े होने के लक्षण स्पष्ट रूप से नजर आने लगते हैं। बेटियों में खासकर अब किशोरावस्था के लक्षण अपेक्षाकृत जल्दी नजर आने लगे हैं। इस बदलाव की क्या है वजह और इसके लिए लाडली को कैसे करें तैयार, बता रही हैं
बचपन की दहलीज लांघकर किशोरावस्था या यौवन में प्रवेश करना हर बच्चे के जीवन का एक महत्वपूर्ण और नया पड़ाव होता है। यह उम्र का ऐसा दौर है, जब माता-पिता को भावनात्मक रूप से अपने बच्चे का साथ देने की जरूरत होती है ताकि वह सहज होकर इस नए बदलाव के साथ तालमेल बैठा सके। हालांकि किशोरावस्था के दौरान लड़के और लड़की दोनों में ही शारीरिक बदलाव और हार्मोंस का उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन लड़कियों में यह परिवर्तन ज्यादा स्पष्ट होता है, जो उन्हें दुविधा में डाल सकता है। कुछ साल पहले तक किशोरावस्था यानी प्यूबर्टी शुरू होने की उम्र बारह-तेरह साल होती थी, लेकिन अब यह घटकर आठ-नौ साल तक आ गई है। यानी आठ साल की लड़की को भी पीरियड यानी मासिक धर्म शुरू हो सकता है। ऐसे में मानसिक रूप से तैयार ना होने पर बच्चा और अभिवाभक दोनों ही इस बदलाव को असमान्य मानकर परेशान हो जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह पूरी तरह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसे सहजता से ही लेना चाहिए।
क्या है प्रारंभिक यौवन ?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एक बच्चे के वयस्क होने के दौर में जो शारीरिक बदलाव होते हैं, उसे यौवन में प्रवेश करना कहा जाता है। लड़कियों में यह परिवर्तन 8 से 13 साल के बीच और लड़कों में 9 से 14 वर्ष की आयु में दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। लेकिन कुछ बच्चों में समय से पहले भी ये बदलाव दिखाई दे सकते हैं, जिसे प्रारंभिक कहा जाता है। शोध बताते हैं कि लड़कों की तुलना में लड़कियों में समय से पहले यौवन आने की संभावना 25 गुना ज्यादा होती है।
क्या होते हैं लक्षण ?
Bu hikaye Anokhi dergisinin August 10, 2024 sayısından alınmıştır.
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