एक-दूसरे के साथ सुकून के पल
समाज विज्ञानी डॉ. परमानंद कुमार बताते हैं, 'डेटिंग की दुनिया में आया यह बदलाव सामाजिक परिदृश्य में आ चुके बदलाव को दर्शा रहा है। यह सच है कि आज लोग अधिक व्यवहारिक हो गए हैं। प्रेमी युगल कल्पना जगत में विचरने की बजाय अपने संबंधों को अधिक यथार्थवादी रूप में देखने लगे हैं। उन्हें लगता है कि उनका आपसी संबंध तभी मजबूत होगा, जब वे प्यार को सतही नहीं, बल्कि सार्थक तरीके से देखेंगे। यही वजह है कि उन्हें दिखावा नहीं चाहिए, बल्कि एक-दूसरे के साथ सुकून के पल चाहिए, जो साथ में एक कप कॉफी पीने से भी मिल सकता है।
कहते हैं कि प्यार को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पहाड़ लांघने की जरूरत नहीं है। छोटी-छोटी खुशियां भी प्रेम की प्रगाढ़ता के लिए काफी है। संजीत और अनिका दोनों अपनी-अपनी कंपनी में सीईओ हैं। दोनों के पास इतना पैसा है कि उनके लिए एक-दूसरे को महंगे उपहार देना और किसी रेस्तरां में खाना खाने का न्योता देना एक समान है। उन्हें लगता है कि दोनों के बीच प्यार बढ़ाने के लिए कुछ खास होना चाहिए। जब तकनीक का बोलबाला हो, तो डेटिंग ऐप्स प्यार मोहब्बत को परवान चढ़ाने का काम तो करेंगे ही। तभी तो संजीत और अनिका भी पिछले कुछ वर्षों में सिचुएशनशिप, नैनोशिप और बैंचिग जैसे शब्दों से रूबरू हो गए हैं ।। पर, अब वे लोग माइक्रो-मैन्सिंग का लुत्फ उठा रहे हैं। संजीत और अनिका की तरह अन्य युवा जोड़ों के बीच यह शब्द न सिर्फ लोकप्रिय हुआ है, बल्कि प्रेम का बंधन भी मजबूत कर रहा है।
छोटे प्रयासों का बड़ा असर
Bu hikaye Anokhi dergisinin January 11, 2025 sayısından alınmıştır.
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