अनुज आज बहुत अपसैट था. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. अकेले लंच करते समय उसे बारबार विक्रम की याद आ रही थी. लाइब्रेरी में पढ़ते समय, प्लेग्राउंड में खेलते समय और यहां तक कि जब उस ने क्विज कंपीटिशन में जीत हासिल की तब भी उसे मजा नहीं आया. यह कंपीटिशन हर साल विक्रम और अनुज मिल कर जीतते थे और फिर अपनी जीत को सैलिब्रेट भी करते थे.
पर आज वह अकेला था और अकेले जीत कर उसे कोई खुशी नहीं मिली. पिछले 10 दिनों से विक्रम कालेज नहीं आ रहा था. वह विक्रम से पूछ भी नहीं सकता था कि आखिर क्या हुआ. दरअसल विक्रम पिछली बार उसी दिन कालेज आया था जिस दिन उस के और विक्रम के बीच अनचाहे ही लड़ाई हो गई थी. लड़ाई में दोनों ने एकदूसरे को बहुतकुछ बोल दिया था. उस के बाद से उन दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई. उसी के अगले दिन से विक्रम ने कालेज आना भी छोड़ दिया था.
यही वजह थी कि अनुज को और भी ज्यादा बुरा लग रहा था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि विक्रम कहां चला गया. वह उस के बारे में जानना चाहता था. उस के दूसरे दोस्तों को भी विक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. आखिर अनुज से रहा नहीं गया और वह सीधा विक्रम के घर पहुंच गया. मगर उस के घर के दरवाजे पर ताला लटका हुआ था.
विक्रम एक रूम ले कर शहर में अकेला रहता था. उस के मम्मीपापा गांव में रहते थे. विक्रम यहां अकेला रह कर बहुत मेहनत कर रहा था. वह आगे आईएएस अफसर बनना चाहता था और इसलिए जीतोड़ पढ़ाई कर रहा था.
उस ने कभी क्लास बंक नहीं की थी. फिर वह 10 दिनों से आ क्यों नहीं रहा था. इस का साफ मतलब था कि बात कुछ बड़ी थी. अनुज ने अपना ईगो परे रख कर उसे फोन लगाया. विक्रम ने फोन उठाया और खामोश रहा.
तब अनुज ने ही पूछा, "यार कहां है तू ? क्लास में क्यों नहीं आ रहा?”
विक्रम ने सपाट सा जवाब दिया, "जिस कालेज में तुम से दोस्ती नहीं रही, वहां पढ़ने की इच्छा भी नहीं रही. इसलिए मैं वापस गांव आ गया हूं. एक साल लग कर मेहनत करूंगा और फिर आईएएस का एग्जाम दूंगा. बीमार मां की देखभाल भी तो करनी है."
Bu hikaye Mukta dergisinin August 2022 sayısından alınmıştır.
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