
आजकल हायर एजुकेशन के लिए युवाओं को बड़े शहरों की तरफ जाना ही पड़ता है. पहले सरकारी यूनिवर्सिटी में लिमिटेड सीटों के चलते कुछ ही युवा पढ़ाई के लिए महानगरों की तरफ आते थे पर अब बड़ी संख्या में प्राइवेट यूनिवर्सिटी, कोचिंग सैंटर खुलने से युवाओं के लिए बड़े शहर सैकंड होम बन गए हैं. मांबाप भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर खर्चा करने लगे हैं.
इस के लिए वे उस सिचुएशन से भी परहेज नहीं कर रहे जहां उन्हें अपने बच्चे को खुद से दूर किसी और शहर में भेजना पड़े. बहुत बार तो दूसरे देशों में भी छात्र पढ़ाई करने जाते हैं. हाल ही में रूस - यूक्रेन युद्ध में कई छात्रों को इवैकुएट किया गया था. ये छात्र वहां मैडिकल की पढ़ाई के लिए गए थे.
इन में से अधिकतर युवा कालेज के होस्टल, पीजी में रहते हैं. पढ़ाई सैमेस्टर के हिसाब से बंटने लगी है तो कम ही मौके होते हैं जब अपने घर जाने का मौका मिलता है. बहुत बार रिश्तेदारों की शादी फंक्शन तक छोड़ने पड़ जाते हैं. कई तो बहुत दूर राज्यों से आते हैं, जैसे केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, झारखंड या मध्य प्रदेश जैसे दूरदराज के राज्यों से कई छात्र दिल्ली व मुंबई पढ़ाई करने आते हैं. ऐसे में अचानक घर जाना या 2-4 दिनों के लिए घर जाना मुमकिन नहीं हो पाता.
बात जब दीवाली जैसे त्योहार की हो तो परिवार से दूर मन मसोस कर रहना पड़ जाता है, थोड़ीबहुत वीडियो कौल से अपने परिवार को देख भावुक महसूस करते हैं. भई, जब सैलिब्रेशन का मौका है तो क्यों न जहां हैं वहीं सैलिब्रेट कर लिया जाए. अच्छे मौके को दुख में गंवाने से अच्छा तो यही है न कि जिन के साथ हैं उन्ही में परिवार ढूंढ़ कर सैलिब्रेट कर लिया जाए. अब जीवन में मजा लाने के लिए कोई रौकेट साइंस की जरूरत थोड़ी है.
कोई फंक्शन सैलिब्रेट करना बहुत बड़ी बात भी नहीं, वह भी तब जब आप के साथ आप के हमउम्र कई सारे दोस्त मौजूद हों. बात बस किसी सैलिब्रेशन को जिम्मेदारी से एंजौय करने की होती है. यह तो और अच्छा हो जाता है कि मिलजुल कर काम करने से काम जल्दी भी होते हैं और मजा भी आता है. इस के लिए-
Bu hikaye Mukta dergisinin October 2022 sayısından alınmıştır.
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सेक्सुअल हेल्थ इन्फ्लुएंसर्स सैक्स अब टैबू नहीं रह गया
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