आजकल का प्रेम पानी में बनने वाले बुलबुले की तरह हो गया है, एकदम क्षणभंगुर, पलभर में बनने और मिट जाने वाला. डेटिंग ऐप्स, चैटिंग, फोटो शेयरिंग, फेसबुक और व्हाट्सऐप की लहरों की सवारी करता करता हुआ हुआ प्रेम प्रेम का डिजिटलीकरण किस हक तक प्लेटोनियम लव की राह का रोड़ा बन चुका है? आखिर क्यों मौडल, मैट्रो या मल्टीप्लैक्स तक घूमने वाला प्रेम एक सौदा बन कर रह गया है? बर्थडे, वैलेंटाइन डे या दूसरे मौकों पर ट्रीट है, पार्टियां हैं, डांसम्यूजिक व मस्ती है, घूमनेफिरने के मौके हैं, फिर भी ऐसा लगता है जैसे दिलों को जोड़ने वाले प्रेम का दिव्य और शाश्वत भाव कहीं गुम हो गया है? आज बदलाव के इस दौर में इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की जरूरत है. प्रेम से पहले और प्रेम के बाद की खुशबू का एहसास करना कोई हंसीखेल नहीं है.
फिर भी जब प्रेम की सुगबुगाहट हो तब न केवल इस के प्रवाह को एक शिद्दत के साथ महसूस किया जाना चाहिए, बल्कि इस की संवेदनशीलता के स्पर्श को भी समझने की कोशिश करनी चाहिए.
दिल्ली की शालिनी अपनी खास सहेली सुप्रिया का व्हाट्सऐप मैसेज देख कर खुश हो गई, क्योंकि वह अपनी शादी के पूरे 20 दिनों बाद उस से मिलने वाली थी. सहेली से मिलने को वह बेताब थी, क्योंकि वह उस की शादी में शामिल नहीं हो पाई थी. अगले व्हाट्सऐप ने उसे चौंका दिया, जिस में सुप्रिया ने अपनी शादी की कुछ तसवीरें पोस्ट की थीं. उन तसवीरों को देख कर वह काफी आश्चर्यचकित हुई थी, क्योंकि सुप्रिया की शादी उस के प्रेमी के साथ नहीं हुई थी जिस के साथ वह अकसर रहती थी.
वह सोच में पड़ गई कि आखिर उस ने ऐसा क्यों किया होगा, जबकि उन के बीच अच्छाखासा तालमेल था. दोनों एक ही राज्य के थे. उन के आचारविचार भी मिलते थे. यहां तक कि उन में जाति व धर्म संबंधी किसी तरह की रूढ़िवादिता भी नहीं देखी गई थी. सुप्रिया के परिवार वाले आधुनिक विचारों के थे.
Bu hikaye Mukta dergisinin November 2022 sayısından alınmıştır.
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बौडी लैंग्वेज से बनाएं फ्रैंडली कनैक्शंस
बौडी लैंग्वेज यानी हावभाव एक तरह की शारीरिक भाषा है जिस में शब्द तो नहीं होते लेकिन अपनी बात कह दी जाती है. यह भाषा क्या है, कैसे पढ़ी जा सकती है, जानें आप भी.
औनलाइन सट्टेबाजी का बाजार गिरफ्त में युवा
दीवाली के मौके पर सट्टा खूब खेला जाता है, इसे धन के आने का संकेत माना औनलाइन माध्यमों का सहारा ले रहे हैं. मटकों और जुआखानों की युवा जाता है. जगह आज औनलाइन सट्टेबाजी ने ले ली है, जो युवा पीढ़ी को बरबाद कर रही है.
सोशल मीडिया डिटॉक्स जरूरी
युवाओं के जीवन में सोशल मीडिया हद से ज्यादा हावी होने लगा है. उन में इस का एक तरह से एडिक्शन सा हो गया है. ऐसे में जरूरी है समयसमय पर इस से डिटोक्स होने की.
दीवाली नोस्टेलजिया से बचें
कई लोग ऐसे होते हैं जो फैस्टिव नोस्टेलजिया में फंसे रहते हैं और अपना आज खराब कर रहे होते हैं जबकि समझने की जरूरत है कि समय जब बदलता है तो उस के साथ नजरिया और चीजें भी बदलती हैं.
सिर्फ ट्रैंडिग चेहरा बन कर रह गईं कुशा कपिला
इन्फ्लुएंसर कुशा कपिला ऐक्टिंग कैरियर के शुरुआती दौर में हैं. कुछ प्रोजैक्ट मिल चुके हैं लेकिन याद रखने लायक कोई भूमिका नजर नहीं आई. जरूरी है कि वे अपनी सोशल मीडिया की एकरूपता वाली आदत को छोड़ें.
कूड़े का ढेर हो गया है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया कूड़े का ढेर जैसा है, जहां अपने मतलब की या सही जानकारी जुटाने के लिए काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती है क्योंकि यहां बैठे इन्फ्लुएंसर्स और न्यूज फीडर बिना संपादन के कुछ भी झूठसच ठेलते रहते हैं.
इयरफोन का यूज सही या गलत
इयरफोन को हम ने अपने जीवन में कुछ इस तरह जगह दे दी है कि आसपास क्या चल रहा है, हमें खबर ही नहीं होती. मानो हर किसी की अपनी एक अलग दुनिया हो, जिस में वह और उस का यह गैजेट हो और कोई नहीं.
औनलाइन ट्रैप में फंसती लड़कियां
औनलाइन डेटिंग और सोशल मीडिया ने युवाओं को एकदूसरे से जुड़ने के नए तरीके दिए हैं, लेकिन इस के साथ ही उन के फ्रौड के शिकार होने के खतरे भी बढ़ गए हैं. पढ़ीलिखी लड़कियां भी मीठी बातों में फंस कर अपने सपनों और भावनाओं के साथसाथ आर्थिक नुकसान भी उठा रही हैं.
सैल्फमेड ऐक्ट्रैस अलाया एफ
बौलीवुड में अलाया का ताल्लुक भले फिल्मी परिवार से रहा लेकिन काम को ले कर चर्चा उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर हासिल की. उन्हें भले स्टार वाली सफलता अभी हासिल न हुई पर उन के हिस्से में कुछ अच्छी फिल्में जरूर आई हैं.
इस दीवाली कुछ क्रिएटिव तरीके से करें विश
दीवाली पर वही पुराने व्हाट्सऐप फौरवर्ड मैसेजेस पढ़ कर या भेज कर यदि आप बोर हो चुके हैं तो थोड़ी सी क्रिएटिविटी कर आप इसे इंट्रेस्टिंग बना सकते हैं और वाहवाही लूट सकते हैं. कैसे, जानिए.