"ऐक्टिंग के साथ पढ़ाई मेरी पहली प्राथमिकता” सौम्य आजाद
Mukta|March 2023
बाल कलाकार के तौर पर पहचान बना चुके सौम्य आजाद कई सीरियलों में अभिनय कर चुके हैं. सौम्य अपने कैरियर को संजीदगी से लेते हैं और आगे भी वे इसी लाइन में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं.
शांतिस्वरूप त्रिपाठी
"ऐक्टिंग के साथ पढ़ाई मेरी पहली प्राथमिकता” सौम्य आजाद

वक्त के साथ बहुतकुछ बदल रहा है. जितनी तेजी से इंटरनेट का जाल फैल रहा है, जितनी तेजी से तकनीकी विकास हो रहा है, उस से कई गुना ज्यादा तेजी से बच्चे अपनी कम उम्र में भी परिपक्व होते जा रहे हैं. 

हाल ही में मेरी मुलाकात 'एंड टीवी' पर प्रसारित हो रहे सीरियल 'हप्पू की उलटन पलटन' में अभिनय कर रहे बाल कलाकार सौम्य आजाद से हुई तो बातचीत कर के एहसास हुआ कि वह अपनी उम्र से काफी ज्यादा मैच्योर हो चुका है. उस की तमन्ना स्टार नहीं, बल्कि एक बेहतरीन ऐक्टर बनना है.

प्रस्तुत हैं सौम्य आजाद से हुई बातचीत के अंश :

आप ने काफी छोटी उम्र से ही अभिनय करना शुरू कर दिया था तो क्या आप के घर में कला का माहौल रहा है?

मेरे पिता राजेश आजाद भी अभिनेता रहे हैं. उन्होंने 'क्राइम पैट्रोल', 'सावधान इंडिया' सहित कई सीरियलों में अभिनय किया है. उन्हें टीवी पर देख कर मेरे अंदर अभिनेता बनने की ललक पैदा हुई. इस तरह अभिनय में मेरे प्रेरणास्रोत मेरे पापा ही हैं.

उन दिनों हम आगरा में रहा करते थे और मेरे पापा अकेले ही मुंबई में संघर्ष करते हुए अभिनय कर रहे थे. अचानक वे बीमार हो गए तो वापस आगरा लौट आए. जब वे ठीक तो मैं ने उन के सामने अभिनय करने की बात की. उस वक्त मेरे दादादादी ने विरोध किया. उन का कहना था कि मुझे सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए.

उस वक्त मेरी उम्र 6 साल की रही होगी पर मेरे पापा ने मेरा दिल नहीं तोड़ा और मुंबई वापस आते समय मुझे भी अपने साथ इस शर्त पर ले कर आए कि मैं पढ़ाई भी करूंगा और अच्छे नंबरों से ही परीक्षा पास करूंगा तो मैं उन के साथ मुंबई आ गया था. तब से अभिनय व पढ़ाई साथसाथ चल रही है. मैं ने हर कक्षा अच्छे नंबरों से पास की. इन दिनों मैं 11वीं का छात्र हूं. इसी के साथ मेरा अभिनय कैरियर भी सरपट दौड़ रहा है.

आप ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग ली या नहीं?

मुंबई पहुंचने के बाद मेरे पापा राजेश आजाद ने 2 माह तक मुझे अभिनय सिखाया. वे औडिशन की स्क्रिप्ट ले कर आते थे और मुझे बताते थे कि कैसे क्या करना है. उन्होंने मुझे स्क्रिप्ट पढ़ कर उसे समझना सिखाया. वे स्क्रिप्ट पढ़ कर मुझे समझाते थे कि कहां मुझे गुस्सा करना है, कहां मुसकराना है.

Bu hikaye Mukta dergisinin March 2023 sayısından alınmıştır.

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