आज का दौर भले कितना भी हाईटैक क्यों न हो गया हो, लोगों के हाथों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक क्यों न आ गई हो लेकिन यूथ से यदि पीरियड या फिजिकल रिलेशन के विषय पर पूछो तो अधिकतर को इस बारे में बेसिक भी जानकारी नहीं होती. कुछ वर्षों पहले फीमेल कंडोम बनाने वाली कंपनी क्यूपिड ने एक शोध किया, इस शोध के मुताबिक मुंबई जैसे आधुनिक शहर में 60 फीसदी से ज्यादा औरतों को इस बारे में पता नहीं था.
आंकड़ों में दावा किया गया कि भारत फीमेल कंडोम की सालाना खपत मात्र 40 से 50 हजार है. यानी इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि या तो महिलाएं इसे ले कर अनजान हैं या इस के इस्तेमाल को सहज नहीं मानतीं. आज ज्यादातर यूथ इस बात से अनजान हैं कि प्रैग्नेंसी को रोकने के लिए कंडोम केवल पुरुषों के लिए नहीं होते हैं बल्कि लड़कियों के लिए भी कंडोम बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें फीमेल कंडोम कहा जाता है. इस का पता लगाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं, महल्ले के किसी भी कैमिस्ट की दुकान में पूछ कर पता लगाया जा सकता है कि लोग इसे कितना खरीद रहे हैं.
फीमेल कंडोम को इंटरनल कंडोम भी कहा जाता है, इसलिए क्योंकि इसे टैम्पोन की तरह ही वैजाइना में इंसर्ट कर के सैक्स के दौरान इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मेल स्पर्म गर्भाशय में न चले जाएं. परिवार नियोजन या यौन रोगों से बचाव संबंधित दृष्टि से देखा जाए तो फीमेल कंडोम इस मामले में उसी प्रकार बचाव करते हैं जैसे मेल कंडोम करते हैं, लेकिन इस के बावजूद भी क्यों यह उतना लोकप्रिय नहीं हो पाया है जितना मेल कंडोम हुआ है? इसे जानने से पहले जानते हैं कि आखिर क्या है फीमेल कंडोम?
फीमेल कंडोम
फीमेल कंडोम सैक्स के दौरान पुरुषों की तरह महिलाओं द्वारा प्रैग्नेंसी को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला बैरियर यानी कौंट्रासैप्टिव डिवाइस है, जिस से अनवांटेड प्रैग्नेंसी के साथसाथ सैक्स के दौरान होने वाले यौनरोग, जैसे गनोरिया, सिफलिस व एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव किया जा सकता है.
Bu hikaye Mukta dergisinin June 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Mukta dergisinin June 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
कहीं आप ममाज बौय तो नहीं
'ममाज बौयज' होना गलत नहीं है, बल्कि इस से सहानुभूति और कोमल व्यवहार ही मिलता है मगर अपनी मां पर हर काम के लिए निर्भर रहना कमजोर भी बना सकता है.
भ्रामक प्रचार करते फूड व्लॉगर्स
सोशल मीडिया पर फूड इन्फ्लुएंसर्स जगहजगह घूम कर ऐसेऐसे फूड्स का प्रचार करते हैं जो वाकई चटकारे लायक होते हैं लेकिन बात हाइजीन की हो तो वे बेहद ही घटिया होते हैं.
ब्रँड प्रमोटिंग के खेल में मीम्स मार्केटिंग एजेंसी का बढ़ता चलन
सोशल मीडिया प्रचार का सब से बड़ा माध्यम हो गया है. बाजार लगते ही यहां भी बिचैलिए आ गए हैं, जो ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर्स के बीच आ कर मोटा मुनाफा ले जाते हैं.
बौलीवुड ट्रेलब्लेजर जर्नलिस्ट आदित्य राणा
आदित्य राणा एलजीबीटीक्यू राइट्स की मांग उठाने वाला जर्नलिस्ट है. वह अकसर बौलीवुड सैलिब्रिटीज के साथ दिखाई देता है. सोशल मीडिया पर जितना उसे ट्रोल किया जाता है उतना ही वह बोल्ड तरीके से अपनी बात रखता है.
संतोषी शेटटी का फैशन कंटेंट हुआ फीका
संतोषी शेट्टी फैशन व्लौगर के रूप में फेमस हुई पर लगता नहीं कि अब उस का कंटैंट कोई देखता है. संतोषी शेट्टी का फैशन ब्लौग नीरस और थका हुआ रहता है. ऐसे में व्यूज की संख्या घटेगी ही.
फालतू इन्फ्लुएंसर्स को यूथ में आइडियलाइज करता बिग बोस
जब से बिग बौस ओटीटी आया है तब से एकाएक फालतू सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स इस शो में आ रहे हैं. बिग बौस इन फालतू इन्फ्लुएंसर्स को युवाओं के बीच में प्रचारित तो कर ही रहा है, साथ में आइडियलाइज भी.
टीनएज में जब गर्लफ्रैंड बने
टीनएज लव यानी किशोरावस्था में प्यार कोई नई बात नहीं है. आप के साथ भी ऐसा हो रहा है तो कोई बात नहीं. बस, उम्र के जोश में यह न भूल जाना कि आप की इस चाहत की मंजिल क्या है.
युवाओं के सपनों के बूते चलते कोचिंग संस्थान
माचिस की डब्बीनुमा कोचिंग संस्थान देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं. इन कोचिंग संस्थानों में छात्रों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा कर मौत बांटी जा रही है.
रील के चक्कर में जान गंवाते युवा
सोशल मीडिया पर खतरनाक स्टंट वाली रील देखना लोग ज्यादा पसंद करते हैं. वायरल होने की चाहत में युवा ऐसी रील बनाने में अपनी जान गंवा रहे हैं. लखनऊ में पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के आंकड़े बताते हैं कि 7 माह में 83 लोगों की जान रील बनाने के चक्कर में गई हैं.
सैक्सी एंड बोल्ड इमेज के साथ टाइपकास्ट की शिकार हुईं तृप्ति डिमरी
'बुलबुल' और 'कला' फिल्मों में अपनी अच्छी परफोर्मेंस से तृप्ति डिमरी दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, लेकिन 'एनिमल' में उन के बोल्ड सीन्स ने उन्हें रातोंरात एक बोल्ड इमेज में ढाल दिया. सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनने के बावजूद उन की यह सैक्सी इमेज उन के कैरियर के लिए एक चुनौती बन सकती है. क्या तृप्ति इस टाइपकास्ट से बाहर निकल पाएंगी?