
फिल्म अदाकारा कंगना रानौत, 'बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा' कहावत की तर्ज पर कंट्रोवर्सी का सहारा ले कर सोशल मीडिया की चर्चाओं में छाई रहती हैं. राजनीति में एंट्री लेने और हिमाचल के मंडी से सांसद बनने का मौका भी उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल होने पर मिला था. अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर बनी फिल्म 'इमरजैंसी' के प्रचार के दौरान उन के सामाजिक और राजनीतिक बयान विवादों में घिर गए हैं जो उन्होंने न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के पोडकास्ट पर जाजा कर दिए हैं.
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "सभी ने देखा जहां प्रदर्शन हुआ वहां क्या हुआ, प्रदर्शन के नाम पर हिंसा फैलाई गई. जहां किसान आंदोलन हुए, वहां रेप हुए, लोगों को मार कर लटकाया जा रहा था. पूरा देश चौंक गया. वे किसान आज भी वहां हैं, लौटे नहीं. उन्होंने वापस जाने का कभी सोचा ही नहीं. वे लंबी प्लानिंग से आए जैसी बंगलादेश में हुई."
इसी इंटरव्यू में वे आगे कहती हैं, "अमेरिका, चीन जैसी विदेशी ताकतें देश के खिलाफ काम कर रही हैं. फिल्मी लोगों को लगता है कि देश भाड़ में जाए, हमारी दुकान चलती रहेगी. ऐसा नहीं है, देश भाड़ में जाएगा तो आप भी साथ भाड़ में जाएंगे."
Bu hikaye Mukta dergisinin September 2024 sayısından alınmıştır.
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सेक्सुअल हेल्थ इन्फ्लुएंसर्स सैक्स अब टैबू नहीं रह गया
यौन स्वास्थ्य के बारे में बातचीत धीरे धीरे सुरक्षित सैक्स से यौन सुख की ओर बढ़ रही है, पुरुषों और महिलाओं के बीच सुख असमानता के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, लोग सक्रिय रूप से यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, यौन स्वास्थ्य, मासिक धर्म स्वच्छता और प्रजनन क्षेत्रों में डाक्टरों और प्रभावशाली लोगों के फौलोअर्स की संख्या में पिछले वर्ष सोशल मीडिया पर 50 से 100 फीसदी की वृद्धि हुई है. यहां चुनिंदा सैक्सुअल हेल्थ इन्फ्लुएंसर्स का जिक्र किया जा रहा है.

फ्रैंड्स के साथ मूवीज ये गलतियां न करें
दोस्तों के साथ मूवी देखना काफी मजेदार होता है. ग्रुप के सभी लोग एकसाथ होते हैं, हंसी ठिठोली होती है. दोस्तों के साथ बिताया हर पल मैमोरेबल होता है. इसे और यादगार बनाने के लिए मूवी प्लान करने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए.

कंट्रोवर्सी क्वीन अपूर्वा मखीजा
अपूर्वा मखीजा हाल ही में विवादों में आई जब वह इंडियाज गौट लैटेंट में दिखाई दी. उसे फुजूल ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. लड़की होने के नाते वह ज्यादा टारगेट पर रही.

ग्रूमिंग के बाद भी लड़के क्यों लगते हैं झल्ले
लड़कों में भी स्मार्ट दिखने का क्रेज बढ़ रहा है इस के लिए वे सैलून, जिम ही नहीं बल्कि ट्रीटमैंट के लिए डाक्टरों के पास भी जाने लगे हैं. बावजूद इस के, वे लगते झल्ले ही हैं.

इन्फ्लुएंसर हर्षा रिछारिया पर अध्यात्म प्रदर्शन पड़ा भारी
हर्षा रिछारिया सोशल मीडिया पर अचानक तब वायरल हो गई जब वह कुंभ में वीडियोज बनाने लगी. कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने कुंभ को वह ग्राउंड बनाया जहां से वे अपनी रीच बढ़ा सकते थे. इसी में हर्षा का नाम भी जुड़ता है.

घुमक्कड़ी से फेमस हुईं कामिया जानी
एक रिस्पैक्टेड जौब पाना हर किसी का सपना होता है. लेकिन क्या आप ऐसी जब छोड़ कर अपने घूमने फिरने के जनून को प्रायोरिटी देंगे, इस को साबित किया है फूड एंड ट्रैवलिंग के लिए नैशनल क्रिएटर अवार्ड पाने वाली कामिया जानी ने.

क्रिकेट से ले कर फिल्मों तक बढ़ता पीआर कल्चर
बौलीवुड कलाकार हों, क्रिकेटर हों या फिर हों सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, उन की चकाचौंधभरी दुनिया के बारे में जानने के लिए सभी उत्सुक रहते हैं, खासकर इन की पर्सनल लाइफ के बारे में. बाहर खबरों में क्या जाए, इस के लिए ये पीआर रखते हैं. जहां इस से कुछ का फायदा होता है, वहीं कुछ को भारी नुकसान उठाने पड़ते हैं.

सोशल मीडिया ने फिर पैदा किए जाति के टोले
सोशल मीडिया कोई दूसरी दुनिया की चीज नहीं है, यह वह भौंडी, सड़ीगली जगह है जो आम लोग बाहर की दुनिया में भीतर से महसूस करते हैं और अपनी उलटी बेझिझक यहां उड़ेलते हैं. भड़ास के ये वे अड्डे हैं जहां वे अपनी असल पहचान जाहिर करते हैं.

झटपट शोहरत कितनी टिकाऊ
सोशल मीडिया की शोहरत टिकाऊ नहीं होती. सोशल मीडिया से अचानक हासिल की गई प्रसिद्धि कई बार बरकरार रखना मुश्किल होता है. यह जितनी तेजी से मिलती है, उतनी ही जल्दी खत्म भी हो जाती है.

युवाओं की जेबों पर डाका डालतीं फास्ट डिलीवरी ऐप्स
भारत में एक अलग ही ट्रैंड देखने को मिल रहा है मिनटों में डिलीवरी का, जो एक गेमचेंजर माना जा रहा है. युवा 10 मिनट की डिलीवरी के आदी हो रहे हैं. ये डिलीवरी ऐप्स उन की साइकोलौजी के साथ खेलती हैं, जिस से जरूरत न होने पर भी वे सामान खरीद रहे हैं. जानें क्या है उन की मार्केटिंग स्ट्रैटजी और कैसे लोग उन के जाल में फंसते जा रहे हैं.