हर मोर्चे पर फतह हासिल करते धामी
DASTAKTIMES|September 2022
उत्तराखंड की जनता को एक ऐसा जनसेवक मिल गया है जो हर पल, हर क्षण जनता के हितों को सर्वोपरि रखता है और उनकी भावनाओं को संरक्षित करने के लिए संकल्पबद्ध भी है और धामी यह करके भी दिखा रहे हैं। समस्या जैसी भी हो, वह उस पर गंभीरता से विचार करके सरकारी मशीनरी के पेंच कसने में जरा भी कसर नहीं छोड़ते। उनका येन-केन प्रकारेण उद्देश्य यही रहता है कि आम जनमानस को समय पर सहूलियत मिल सके।
रामकुमार सिंह
हर मोर्चे पर फतह हासिल करते धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन दिनों आपदा प्रबंधन को लेकर फिर सुर्खियों में हैं। धामी उत्तराखंड के एक ऐसे युवा मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने उत्तराखंड के आम जनमानस के सामने एक सक्षम और समर्पित मुख्यसेवक के रूप में अपने को उपस्थित किया है। उत्तराखंड से जुड़े हर गंभीर विषय पर वह बहुत ही तत्परता से निर्णय लेते हैं जिससे आम जनमानस से जुड़े मुद्दों पर आवश्यकतानुसार किसी भी परिस्थिति में त्वरित और हरसंभव लाभ पहुंचाया जा सके। उन्होंने जब से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, अपने नवीन कार्यों से उत्तराखंड की जनता को यह साबित कर दिखाया है कि मुख्यमंत्री और पूरी सरकार जनता के हितों के लिए किस तरह समर्पित होकर समयबद्ध तरीके से कार्यों का सरलीकरण करते हुए कार्य कर सकती है और यही कारण है कि उत्तराखंड की जनता के मानस पटल पर वह सबसे उपयुक्त और सक्षम मुख्यमंत्री की अमिट छाप छोड़ पाने में सफल रहे हैं जो धामी सरकार की लोकप्रियता का मजबूत आधार बन चुका हैं।

पूर्व में कुमाऊँ की आपदा हो या वर्तमान में देहरादून के रायपुर में बादल फटने की हो, किसी भी घटना की जानकारी मिलते ही सीएम धामी पूरे तंत्र को चुस्त-दुरुस्त करते हैं और आपदा के समय यह प्रयास करते हैं कि आपदा स्थल पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हों, जिससे पीड़ितों को सरकार 'आपके द्वार' का एहसास होने के साथ-साथ लोगों को भावनात्मक रूप से भी यह संबल मिल सके कि उनका मुखिया मात्र सरकारी औपचारिकताएं ही पूरी नहीं करता बल्कि सुख-दुख में एक परिवार के सदस्य की तरह सहभागी भी है और हर आपदा के समय उनके स्वयं घटनास्थल पर उपस्थित रहने से सरकारी अमला स्वतः ही द्रुत गति से कार्य करने में जुट जाता है, जिससे सरकार की पूरी क्षमता का लाभ आम जनमानस को मिल पाता है। यही कारण है कि पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गये हैं जो अपनी इसी व्यावहारिक कार्यशैली से उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं।

Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin September 2022 sayısından alınmıştır.

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ठाकुरबाड़ी के किस्से
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देश के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर के दादा द्वारकानाथ टैगोर इतने बड़े ज़मींदार थे कि जब वे लंदन पहुंचे तो महारानी विक्टोरिया ने उन्हें प्राइवेट डिनर पर बुलाया था। कोलकता में ठाकुरबाड़ी को इन्होंने ही बसाया था। गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के कुटुंब वृत्तांत पर आधारित नई किताब 'ठाकुरबाड़ी' इन दिनों चर्चा में है। प्रस्तुत है अनिमेष मुखर्जी की इस चर्चित पुस्तक का एक अंश-

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प्रयाग की धरती पर दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मेला सजा हुआ है। ठीक वैसा आयोजन जिसकी परिकल्पना हिन्दू धर्म की प्राचीन स्मृतियों ने की थी। पौराणिकता और परंपराओं में अटूट श्रद्धा रखने वाले आस्था में डूबे असंख्य लोग जाने-अनजाने किए पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना लिए संगम की ओर चले आ रहे हैं। कोई विज्ञापन, कोई प्रचार नहीं। न उम्र की सीमा न जाति का बंधन। न स्त्री पुरुष का भेद, न अमीरी गरीबी का कोई फासला। न चेहरे पर सैकड़ों मील के सफर की कोई थकान। सब सदियों से बहती पवित्र गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती में डुबकी लगाने को आतुर हैं। कुंभ नगरी से संजय पांडेय और आनंद त्रिपाठी की रिपोर्ट।

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आज का स्त्री विमर्श बंदर के हाथ में उस्तरा
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चर्चित स्त्रीवादी लेखिका गीताश्री ने अपने लेख की शुरुआत में आलोचक व लेखक अखिलेश श्रीवास्तव 'चमन' का नाम लिए बगैर उनकी एक टिप्पणी के आधार पर उनके मर्दवादी नज़रिए पर लानत - मलानत भेजी। एक लेखक की टिप्पणी पर एक नामचीन लेखिका इतनी भड़क जाएं कि अपनी बात शुरू करने के लिए उन्हें संदर्भित करना पड़े तो जाहिर है लेखक की टिप्पणी बेमानी नहीं रही होगी । उसने कोई ऐसी रग छुई है जहां किसी कोने में दर्द छुपा है। बीते 20 साल के स्त्री विमर्श लेखन का एक समानांतर पक्ष जानने के लिए 'दस्तक टाइम्स' ने चमनजी से आग्रह किया कि जो 'सदविचार' उन्होंने किसी साहित्यिक जलसे में दिया था, उसे वह हमारे मंच पर विस्तार दें ताकि मौजूदा दौर के स्त्री विमर्श की एक सटीक तस्वीर पाठकों के सामने आए। तो मुलाहिजा फरमाइये मि. चमन का यह आलेख |

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