जोशीमठ की सुरक्षा धामी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
DASTAKTIMES|February 2023
हाल में उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन फटने की गंभीर समस्या सामने आयी, वहां के निवासियों के घरों में दरारें आने लगी, पानी का रिसाव दिखने लगा और पर्यावरणविदों ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि जोशीमठ की भूधंसाव की स्थिति अब नियंत्रण के बाहर जा चुकी है जिसे रोका नहीं जा सकता। बचाव, राहत कार्य और पुनर्वास ही एकमात्र विकल्प बचा है। दरअसल जोशीमठ मध्य हिमालय का एक हिस्सा है। यहां की चट्टानें प्रीकैम्ब्रियन युग की और यह क्षेत्र भारत के सबसे गंभीर भूकंपीय क्षेत्र-5 के तहत आता है।
विवेक कुमार
जोशीमठ की सुरक्षा धामी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

र्वतीय क्षेत्रों की अपनी संभावनाएं और चुनौतियां होती हैं जैसे भारत के नवीनतम राज्य उत्तराखंड के बारे में देखा जाता है । जोशीमठ हो या रुद्रप्रयाग अथवा उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ के अन्य क्षेत्र हों, पर्यटन और पलायन के मुद्दों से प्रभावित होते रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन को रोकने, स्थानीय लोगों के आजीविका सृजन के लिए जब भी पर्यटन विकास से संबंधित पहल की जाती है तो निश्चित रूप से उसका पर्वतीय पारितंत्र पर कुछ न कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन ऐसे प्रभावों को न्यूनतम रखते हुए एक मर्यादित विकास की संभावनाओं पर काम करने से पीछे भी नहीं हटा जा सकता। इस संबंध में उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव की चुनौती का उल्लेख करना जरूरी हो जाता है। उत्तराखंड में आस्था का अद्वितीय केन्द्र माना जाने वाला जोशीमठ इस समय आपदा का शिकार है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह मानव निर्मित आपदा है जबकि कुछ का यह मानना है कि हिमालयन पारितंत्र पारिस्थितिकी की प्रकृति ही ऐसी है कि वहां विकास कार्यों का प्रभाव भूसंरचना पर पड़ने लगा। 

Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin February 2023 sayısından alınmıştır.

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