प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल ही में संपन्न अमेरिकी यात्रा सामरिक प्रतिरक्षा संबंधों को मजबूती देने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही है। दोनों देशों ने कुल पांच समझौतों के जरिए प्रतिरक्षा, आर्थिक सहयोग, इंटेलिजेंस ट्रांसफर, कृषि जैसे मुद्दों पर आगे बढ़ने की बात की है। ये समझौते इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्था को एक आर्थिक महाशक्ति बनने और चीनपाकिस्तान जैसे देशों के संदर्भ में अपने सामरिक हितों को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी। वर्तमान वैश्विक शक्ति समीकरण में अमेरिका भी भारत के माध्यम से चीन की बढ़ती आक्रामकता को प्रतिसन्तुलित करना चाहता है, साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार के लक्ष्य के साथ भारत के बड़े बाजार का दोहन करना चाहता है। दूसरी तरफ, भारत हिन्द प्रशांत क्षेत्र के नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाने का इच्छुक है, जहां अपने पड़ोस में चीन की बढ़ती उपस्थिति से वह चिंतित है। ऐसे में भारत की अमेरिका से सामरिक भागीदारी उसे चीन पर बढ़त बनाने का अवसर दे सकती है। यही कारण है कि व्यापार, वाणिज्य, डिफेंस ट्रेड, हिन्द प्रशांत क्षेत्र के संबंध में दोनों देशों के दृष्टिकोणों में साम्यता देखी जा सकती है।
भारत-अमेरिका के बीच हुआ नया प्रतिरक्षा समझौता
यह सर्वविदित है कि अमेरिका भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है। अमेरिका ने वर्ष 2016 में ही भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा दे दिया था। अब उसी रक्षा साझेदारी को वर्तमान वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीति की परिस्थितियों को देखते हुए नई मजबूती देने की पहल दोनों राष्ट्रों ने की है। दोनों राष्ट्रों ने माना है कि उनके संबंध केवल क्रेता और विक्रेता के नहीं हैं बल्कि भारत अमेरिका का लगभग हर क्षेत्र में सामरिक साझेदार है। दोनों देशों ने प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यूएस यात्रा के दौरान जो प्रतिरक्षा समझौते किए वह हैं- दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने पहले समझौते में भारत में निर्मित स्वदेशी विमान तेजस के लिए दूसरी पीढ़ी के जीई-414 जेट इंजन के निर्माण पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के तहत अमेरिका भारत की विमानन पार्ट उत्पादन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को तकनीक हस्तांतरण करेगी और इन जेट इंजन के निर्माण में मदद करेगी।
Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin July 2023 sayısından alınmıştır.
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बेगम स्वरा का नया लुक चर्चा में
स्वरा का जीवन एक दिलचस्प सफर है, जिसमें फिल्मी करियर, राजनीतिक सक्रियता और व्यक्तिगत जीवन की कई अहम घटनाओं ने उन्हें मीडिया और दर्शकों के बीच खास स्थान दिलाया है। 1988 में दिल्ली के एक हिन्दू परिवार में स्वरा भास्कर का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सीनियर स्कूल से की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद, स्वरा भास्कर ने जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) से समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
ऋषभ पंत आईपीएल के नए किंग
आईपीएल 2025 के मेगा ऑक्शन में इस बार कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। टीम इंडिया के सुपरस्टार प्लेयर ऋषभ पंत आईपीएल के नये महाराज बन गये। पंत को लखनऊ सुपर जाएंट्स ने अपनी टीम का हिस्सा बनाने के लिए 27 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, जिससे वह ऑक्शन के इतिहास में सबसे महंगे प्लेयर बन गए। ऋषभ पंत का दमदार प्रदर्शन उनकी छप्पड़फाड़ सैलरी की वजह बना।
प्रकृति, संस्कृति और स्त्री का बहुआयामी विमर्श
स्त्री चेतना, पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सुप्रतिष्ठित लेखिका आकांक्षा यादव के आलेखों का संग्रह 'प्रकृति, संस्कृति और स्त्री' को पढ़ते हुए जहां हम विषयवार उनके विचारों, विवरणों और विवेचनों से प्रभावित होते हैं, वहीं हम निबंध विधा के महत्व को भी जान पाते हैं।
जन-गण-मन का भाग्य विधाता है संविधान
भारतीय गणतंत्र अमर है लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है। न्यायपालिका संविधान की जिम्मेदार संरक्षक है। न्यायपीठ ने प्रशंसनीय फैसले किए हैं। अदालतों में लंबित लाखों मुकदमे 'न्याय में देरी से अन्याय के सिद्धांत' की गिरफ्त में हैं। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य देता है। अनुच्छेद 20 अन्य बातों के अलावा, 'किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य करने से रोकता' है।
संकट में पाकिस्तानी शिया
2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में आबादी 7.85 लाख है। इसमें 99 फीसदी पश्तून हैं। पश्तून आबादी में तुरी, बंगरा, जैमुश्त, मंगल, मुकबल, मसुजाई और परचमकानी जनजातियां हैं। तुरी और कुछ बंगश शिया हैं बाकी सब सुन्नी हैं। कुर्रम जिले में 45 प्रतिशत आबादी शिया समुदाय की है जबकि पूरे पाकिस्तान में इस समुदाय की आबादी करीब 15 फीसद है।
डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
आज के युग में मोबाइल या लैपटॉप आम आदमी के जीवन में काफी प्रसांगिक ये हैं। लेकिन डिजिटल विकास तमाम खूबियां के साथ कुछ खामियां भी लाया है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, लेकिन इस शख्स की सोच के बारे में कोई डिवाइस नहीं बता सकती है कि वह किस श्रेणी का इंसान है। यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है।
शीतकालीन चारधाम यात्रा में भी गुलजार होगी देवभूमि
शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।
कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।
प्रदूषण से सांसत में जान
दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।
पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।