खर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है ? मानव निर्मित टेक उद्योग का तिलिस्म है और टेक मानव हैं कि खूब समझा दे रहे हैं कि भविष्य में हम 'मेटैवर्स' में रहेंगे, वेब 3 पर अपने वित्तीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करेंगे और 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता' के साथ अपने जीवन को सफल बनाएंगे. ये तीनों ही शब्द मृगतृष्णा सरीखे हैं जिनका क्रिएटर मानव ही है. लेकिन अब मानव निर्मित एआई ही आम लोगों की वर्क स्टाइल को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है. और इसी बात ने सोच को जन्म दिया है कि आखिर हद क्या होगी ? क्या हमारे सारे काम एआई कर देगा ? क्या हमारे टेक सुपर एआई को हम मानवों से ज्यादा तेज, समझदार, और संख्या में ज्यादा नहीं बना देंगे ? क्या समाज का वो ताना बाना ध्वस्त नहीं हो जाएगा जिसमें हम सब एक दूसरे पर निर्भर हैं ? और जब पारस्परिक निर्भरता ही नहीं रहेगी तो एहसास खत्म ही हुआ समझें ना ! और इसी डर के लिए एलन मस्क, एप्पल के फाउंडर, स्काइप के फाउंडर, अनेकों यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आदि चेता रहे हैं. वे आग्रह कर रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर हो रहे बड़े बड़े प्रयोगों को रोका जाए. उनका डर है कि कहीं एआई इस कदर बेकाबू ना हो जाए कि इसका निर्माता ही इसे काबू में ना रख पाए और डर निर्मूल भी नहीं है. मशीनों के गाइडेंस में काम करने की शुरुआत हो चुकी है. चीन में एक गेमिंग कंपनी NetDragon Websoft अपनी एक सब्सिडियरी का CEO एक AI बेस्ड रोबोट को बनाया है. एआई वकील, एडवाइजर बनाये जा रहे है.
कहने को लॉजिक अच्छा है कि ऐसा प्रोडक्टिविटी और इफिशिएंसी बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. लेकिन इंसानों के बराबर इंटेलिजेंस वाले एआई ही भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. जरूरत है द्रोणाचार्यों (इन एआई निर्माताओं) पर बंदिशें लगाने की क्योंकि सभी धनुर्धरों से एकलव्य सरीखे आदर्श की कल्पना ही बेमानी है. चूंकि ना तो कोई मशीन सोच सकती है और ना ही कोई सॉफ्टवेयर स्वतः इंटेलीजेंट है, समय रहते सोचना इनके मेकर्स को हैं. 'सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली' वाली कहावत ही चरितार्थ हो रही है जब कतिपय टेक दिग्गज ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रिस्पांसिबल और एथिकल डेवलपमेंट की मांग कर रहे हैं, अपील कर रहे हैं.
Bu hikaye Gambhir Samachar dergisinin April 16, 2023 sayısından alınmıştır.
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औद्योगिक घरानों के बंटवारे कैसे प्रेम से हों
दीपक पारेख को भारत के कोरपोरेट जगत में बहुत ही आदर भाव के साथ देखा जाता है.
क्या है हिन्दू फोबिया का कारण
हिन्दू धर्म या सनातन संस्कृति जिसकी जड़ें संस्कारों के रूप में परम्पराओं के रूप में भारत की आत्मा में अनादि काल से बसी हुई हैं. ये भारत में ही होता है जहाँ एक अनपढ़ व्यक्ति भी परम्परा रूप से नदियों को माता मानता आया है और पेड़ों की पूजा करता आया है.
भारत में कैसे कम हो पाएंगे सड़क हादसे
आंकड़ों से पता चलता है कि देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट के मामले 2020 में 3,64,796 से बढ़कर 2021 में 4,03, 116 हो गए. मौतों में 16.8% बढ़ोतरी हुई है. 2020 में 1,33,201 और 2021 में 1,55,622 लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गवाई है. साथ ही 2021 में प्रति हजार वाहनों की मौत दर 2020 में 0.45 से बढ़कर 2021 में 0.53 हो गई है. विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुई हैं.
पश्चिमी यूपी में तेज होगी जाट वोट बैंक पर कब्जे की जंग
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी की मान्यता खत्म होने से छोटे चौधरी जयंत सिंह की सियासत पर ग्रहण लग गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने सहित कई सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी की राजनैतिक पारी पर यदि विश्राम लग जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
अब 'वायनाड' का क्या होगा?
केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सदस्य रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग इस सीट पर जल्द ही उपचुनाव करवा सकता है? जानकारों का कहना है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग हर कानूनी पहलू को देखेगा और राहुल गांधी के अगले कदम पर भी आयोग की नजर रहेगी. राहुल गांधी की ओर से जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है. वहीं, चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार राहुल के अयोग्य घोषित होने के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव कराने से पहले तमाम पहलुओं की समीक्षा की जाएगी. आयोग के सूत्रों के अनुसार पहले से तय गाइडलाइंस के अनुरूप जो नियम हैं, उनके तहत आयोग कार्रवाई करेगा. नियम के अनुसार, खाली सीट को 6 महीने के अंदर भरना होता है. सूत्रों के अनुसार, इस बार आयोग कोई फैसला लेने से पहले तमाम कानूनी पहलुओं और घटनाक्रमों की समीक्षा करेगा. दरअसल, इसी साल आयोग अपने ही कुछ फैसलों से कानूनी अड़चनों में फंसा रहा.
अंतरिक्ष में इसरो के बढ़ते कदम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अंतरिक्ष की दुनिया में निरन्तर नए-नए इतिहास रच रहा है.
कल क्या हमारा आपका बॉस कोई रोबोट होगा?
जीपीटी-4 सरीखे एआई टूल उन पर इस कदर दबाव बनाये रखेंगे कि वे जो भी काम कर रहे हैं वह तेज गति से हो और अधिक उत्पादक हो. वे उत्कृष्टता के पैमाने को बढ़ा देंगे सीईओ के लिए और एक प्रकार से अत्यधिक दक्षता के युग का सूत्रपात होगा. बड़ी प्रसिद्ध हिंदी कहावत है गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया! पता ही नहीं चलेगा कब नॉन ह्यूमन दिमाग ने, जिसे ह्यूमन ने ही बनाया है, हमें रिप्लेस कर लिया है.
ChatGPT - अगर बहुतों के लिए आपदा है तो अमेरिका के लांस जंक ने इसे अवसर में बदल दिया!
दुनिया के तमाम लोग ChatGPT का उपयोग करना सीखना चाहते हैं. ऐसे ही लोगों का फायदा उठाया अमेरिका में रहने वाला एक 23 वर्षीय व्यक्ति लांस जंक ने जो नए लोगों को चैट जीपीटी सिखाकर 3 महीने में लगभग 35,000 डॉलर या 28 लाख रुपये कमाए.
AI अदृश्य रोबोटस के हवाले होने जा रही है हमारी जिंदगी!
एआई इमेज जनरेशन अब भी बहुत भरा पड़ा है. आर्थिक लिहाज से देखें तो अग्रणी एआई कंपनी 'सेल्सफोर्स' सरीखी तो बन सकती है, लेकिन तकनीकी क्षेत्र की 1 ट्रिलियन डॉलर मूल्यांकन वाली अन्य कंपनियों के आस पास पहुंचना उसके लिए दूर की कौड़ी ही रहेगी.
AI आज और कल
जरा सोचिए कि आप एक जगह बैठे हैं जहां आपके आस पास सब कुछ आपके ही मुताबिक है. आपके फोन ने आपको बताया कि आज आपको टाइम पर ऑफिस पहुंचने के लिए निकलना है. आप जल्दी से तैयार होते हैं और निकलते हैं अपनी कार के लिए. कार में बैठते ही आपके पास एक नोटिफिकेशन आता है, और आपकी कार की डैशबोर्ड स्क्रीन पर आगे रास्ते में पड़ने वाले ट्रैफिक का, स्क्रीनशॉट दिखता है. मतलब आपकी गाड़ी आपको बता रही है कि आज आपको नॉर्मल से ज्यादा ट्रैफिक मिलने वाला है, और आपको नए रास्ते से ऑफिस पहुंचने की सलाह दी जा रही है.