पच्चीस जुलाई को जब द्रौपदी मुर्मू प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना की जुबानी दिलवाई गई राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के लिए खड़ी हुईं, तो प्रधानमंत्री और दर्जन भर मुख्यमंत्रियों सहित रसूखदारों के उस जमावड़े में सहसा खामोशी छा गई जो इतिहास के इस विरले लम्हे का गवाह बनने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में इकट्ठा हुआ था. अलबत्ता भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में उनके शपथ लेने के बाद वह हॉल, जिसमें राष्ट्रीय विभूतियों, पूर्व राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की आदमकद तस्वीरें अपलक निहारती रहती हैं, एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट और 'भारत माता की जय' के उद्घोष से गूंजने लगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाद में इसे "भारत और खासकर गरीबों, वंचितों और दबे-कुचले लोगों के लिए ऐतिहासिक घटना" कहा.
वाकई, यह ऐतिहासिक घटना थी. एक शांत और संकोची संथाली लड़की का ओडिशा के रायरंगपुर के देहाती परिवेश से रायसीना हिल पर राष्ट्रपति के विशाल प्रासाद तक पहुंचने का यह सफर महज रंक से राष्ट्रपति भवन की कहानी भर नहीं, उससे कहीं ज्यादा है. यह प्रेरक अफसाना है जो बताता है कि समाज के हाशिए पर जन्मे एक व्यक्ति ने अपने अथक और अदम्य जज्बे के बूते तमाम बाधाओं और संघर्षों पर विजय पाकर किस तरह देश के इतिहास में जगह हासिल की. राष्ट्रपति बनने के फौरन बाद संसद को अपने पहले संबोधन में मुर्मू ने कहा भी, "यह हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 10, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 10, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई