नरेंद्र मोदी कभी भी एक मुकाम हासिल कर चैन से बैठने वालों में नहीं हैं. 5 दिसंबर को मतदान के आखिरी दिन जब यह साफ हो गया कि उनके गृह राज्य के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही है, प्रधानमंत्री कुछ आगे की सोच रहे थे. उनकी निगाहें 2024 के लोकसभा चुनाव की और बड़ी मंजिल हासिल करने पर जम गई हैं, जिसे वे लगातार तीसरी बार भाजपा के लिए जीतना चाहते हैं. वे अहमदाबाद निशांत हाइ स्कूल में अपने वोट डालने को सार्वजनिक आयोजन में बदलने के फौरन बाद राजधानी दिल्ली लौट आए, जिसे विपक्ष ने चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन बताया. हवाई अड्डे से वे सीधे दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर भाजपा मुख्यालय पहुंचे. वहां उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों, राज्य प्रभारियों और 2023 में तय चुनाव वाले नौ राज्यों के पार्टी अध्यक्षों के साथ तैयारियों की जानकारी ली ताकि 2024 में पार्टी की जीत की रूपरेखा बनाई जा सके.
गुजरात की धमाकेदार जीत ने यह बखूबी स्थापित कर दिया कि मोदी का जादू कायम है. 27 साल के शासन के भारी सरकार विरोधी रुझान के बावजूद, भाजपा ने कुल 182 में से 156 सीटें जीत लीं और 1985 में कांग्रेस की 149 सीटों की सबसे बड़ी जीत को पीछे छोड़ दिया. इसमें हल्का-सा भी शक नहीं है कि गुजरात में भाजपा के प्रचार अभियान की तरह ही उसकी जीत का सेहरा भी मोदी के सिर बंधा है. निर्णायक नेतृत्व ही मोदी की सबसे बड़ी खासियत है, पिछले साल जब पार्टी के आंतरिक सर्वे में संकेत मिले कि भाजपा हारने जा रही है तो प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनके समूचे मंत्रिमंडल को फौरन चलता करने में कोई हिचक नहीं दिखाई. रूपाणी की जगह अपेक्षाकृत अनजानसे पहली बार के विधायक तथा अहमदाबाद के पूर्व पार्षद भूपेंद्र पटेल और एकदम नए चेहरों की टोली बैठा दी गई. चुनाव में भी भाजपा ने कई दिग्गजों के टिकट काट दिए गए और एक-तिहाई सीटें पहली बार वालों को दी गईं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 21, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 21, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शोख सनसनी दिल्ली की
आर्ट क्यूरेटर, परोपकारी और सोशल मीडिया सनसनी शालिनी पासी नेटफ्लिक्स की सीरीज फैबुलस लाइव्ज वर्सज बॉलीवुड वाइव्ज में शिरकत करने के बाद मिली शोहरत का मजा ले रहीं
पाइ पटेल की भारत यात्रा
यान मार्टेल के चर्चित उपन्यास लाइफ ऑफ पाइ पर फिल्म भी बनी. और अब यह पुरस्कार विजेता नाटक
कला कनॉट प्लेस के इर्द-गिर्द की
धूमीमल गैलरी में चल रही प्रदर्शनी ज्वॉइनिंग द डॉट्स दिल्ली के सांस्कृतिक दिल कनॉट प्लेस के चिरस्थायी आकर्षण को एक तरह की आदरांजलि
हिंदुस्तानी सिनेमा की एक नई रौशनी
फिल्मकार पायल कपाडिया इन दिनों एक अलग ही रंगत में हैं. वजह है उनकी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट और उन्हें मिल रही विश्व प्रसिद्धि. उनका सफर एक बड़े सिनेमाई मुकाम पर जा पहुंचा है. अब यहां से इस जुनूनी आर्टिस्ट का करियर एक नई उड़ान लेने को तैयार
रतन टाटा जिन्हें आप नहीं जानते
पिछले महीने 86 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुए रतन टाटा. भारत की सबसे पुरानी विशाल कंपनी के चेहरे रतन को हम में से ज्यादातर लोगों ने जब भी याद किया, वे एक सुविख्यात सार्वजनिक शख्सियत और दूसरी ओर एक रहस्यमय पहेली के रूप में नजर आए.
विदेशी निवेश का बढ़ता क्लेश
अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
अब शासन का माझी मंत्र
मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.