"लव करके भागे हैं घर से, बिहार लौट न पाएंगे, ठीक है?"
इश्क-मोहब्बत भारत और खासकर इसके उत्तरी हिस्सों के दूरदराज के कस्बाई इलाकों में हल्के लफ्ज नहीं हैं. यह निहायत संजीदा बात है. थोड़ासा भी ऊंच-नीच होने पर जिंदगी से हाथ धोना पड़ सकता है. ऊपर जिस भोजपुरी गाने की पंक्ति ि है उसने 2019 में बिहार में रिलीज होते ही धूम मचा दी थी. सीधे-सादे शब्दों में यह गाना इसी बात को तो बयां करता है. पुरातन जाति व्यवस्था के सख्त शिकंजे में रत्ती भर भी ढील आती दिखाई नहीं देती मगर नौजवान वही कर रहे हैं जिसमें उन्हें आदिकाल से महारत हासिल है: जवान होना और प्रेम में पड़ना. रीति-रिवाजों के फौलादी शिकंजे को धता बताकर वे इश्क-मोहब्बत की नाजुक डोर थाम रहे हैं, भले ही इसके लिए उन्हें देस ही क्यों न छोड़ना पड़े. लब्बोलुआब यह कि प्रेम में पड़कर बहुत-से युवा शादी करके भाग रहे हैं. उस गीत के तमाम संस्करणों को यूट्यूब पर अब तक 8 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. वह तो इन वक्तों का जीवनगीत हो सकता है या फिर तेजी से बदलते समाज की एक जीती-जागती तस्वीर.
बिहार पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि 2020 के मुकाबले 2022 में भागकर शादी करने के मामलों में 37 फीसद का इजाफा हुआ है. भारत में भागने को " अपहरण" के तौर दर्ज किया जाता है क्योंकि मातापिता इसी शब्दावली में मामला दर्ज करवाते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट में "विवाह के लिए अपहरण" के मामलों में उससे पहले के साल के मुकाबले 23 फीसद की बढ़ोतरी हुई. आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार में 2020 में 5,378 महिलाओं का “शादी के लिए अपहरण" किया गया. एक साल बाद यह आंकड़ा छलांग लगाकर 6,608 पर पहुंच गया.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 21, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 21, 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"