भाषाई संघर्ष
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1917 में ही भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का वादा कर दिया था, लेकिन वह वादा दिसंबर 1952 में अनशन कर रहे पोट्टी श्रीरामुलु की मृत्यु के बाद पूरा हो सका. नेल्लोर में एक वैश्य-जाति के परिवार में जन्मे पोट्टी श्रीरामुलु एक सत्याग्रही के तौर पर 1930 और 1940 के दशकों में जेल गए थे और उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए भी अभियान चलाया था. अपने लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय इस हस्ती के 58 दिनों के अनशन और मृत्यु के बाद तेलुगु बोलने वालों के लिए एक अलग राज्य का निर्माण, जो अभी भी ब्रिटिश-युग का मद्रास प्रेसिडेंसी था, को रोक पाना असंभव था. आंध्र 1953 में उभरा, और अन्य आंतरिक सीमाओं को भी सफलतापूर्वक फिर से खींचा गया गया. दक्षिण में कर्नाटक और केरल, पश्चिम में महाराष्ट्र और गुजरात, उत्तर में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल. देश के नागरिक अब अपनी-अपनी भाषा में अधिकारियों के साथ बात कर सकते थे !
पूर्वोत्तर का राष्ट्रवाद
भारत की आजादी के साथ-साथ शुरू हुई पूर्वोत्तर की स्वायत्तता की अनवरत हलचल कभी भी संघर्ष से मुक्त नहीं रही, फिर भी इस इलाके के विभिन्न समुदायों की ओर से उनके गौरव की वापसी प्रेरणादायक रही है. उनके संघर्ष की वजह से असमिया, बोडो, गारो, खासी, मिजो, मैतेई, नगा और त्रिपुरियों (ये बस कुछेक नाम हैं, बाकी और भी हैं) ने भारत और दुनिया के अनगिनत लोगों की चेतना पर अपनी बौद्धिक प्रतिभा की छाप छोड़ी है.
दलित अधिकार
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 04, 2023 sayısından alınmıştır.
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शोख सनसनी दिल्ली की
आर्ट क्यूरेटर, परोपकारी और सोशल मीडिया सनसनी शालिनी पासी नेटफ्लिक्स की सीरीज फैबुलस लाइव्ज वर्सज बॉलीवुड वाइव्ज में शिरकत करने के बाद मिली शोहरत का मजा ले रहीं
पाइ पटेल की भारत यात्रा
यान मार्टेल के चर्चित उपन्यास लाइफ ऑफ पाइ पर फिल्म भी बनी. और अब यह पुरस्कार विजेता नाटक
कला कनॉट प्लेस के इर्द-गिर्द की
धूमीमल गैलरी में चल रही प्रदर्शनी ज्वॉइनिंग द डॉट्स दिल्ली के सांस्कृतिक दिल कनॉट प्लेस के चिरस्थायी आकर्षण को एक तरह की आदरांजलि
हिंदुस्तानी सिनेमा की एक नई रौशनी
फिल्मकार पायल कपाडिया इन दिनों एक अलग ही रंगत में हैं. वजह है उनकी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट और उन्हें मिल रही विश्व प्रसिद्धि. उनका सफर एक बड़े सिनेमाई मुकाम पर जा पहुंचा है. अब यहां से इस जुनूनी आर्टिस्ट का करियर एक नई उड़ान लेने को तैयार
रतन टाटा जिन्हें आप नहीं जानते
पिछले महीने 86 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुए रतन टाटा. भारत की सबसे पुरानी विशाल कंपनी के चेहरे रतन को हम में से ज्यादातर लोगों ने जब भी याद किया, वे एक सुविख्यात सार्वजनिक शख्सियत और दूसरी ओर एक रहस्यमय पहेली के रूप में नजर आए.
विदेशी निवेश का बढ़ता क्लेश
अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
अब शासन का माझी मंत्र
मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.