हालांकि यह लेख देश के हस्तशिल्प क्षेत्र के महत्वपूर्ण पड़ावों की फेहरिस्त जुटाने की कोशिश है, लेकिन ऐसा कुछ जुटा पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह निरंतर धारा बदलती विशाल सदानीरा प्रवाहमान नदी की तरह है, जो बाहरी दबावों से कभी मंद, तो कभी समृद्ध होती रहती है.
वेदों में वर्णित शिल्प शास्त्र के समय से ही भारत के शिल्प कौशल और परंपराओं के विशाल भंडार का सदा प्रवाहमान अस्तित्व हमारी सभ्यता का एक चमत्कारिक उपहार है. इसका असल इतिहास 1947 के हमारे स्वतंत्रता दिवस से सहस्राब्दियों पहले से शुरू होता है. दक्षिण के चोल और विजयनगर राजवंशों ने इसे अपनी शक्ति के सार्वजनिक प्रदर्शन का हिस्सा बनाया और शिल्प कौशल पर विशेष ध्यान दिया.
आगे चलकर मुगलों ने भारतीय शिल्प में कई तरह की महीन कारीगरी जोड़ी, जो हमारे शिल्प की शब्दावली में समाहित हो गई. हालांकि, ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने अपने औद्योगिक अभियान में रुकावट बनने वाली हर हस्तकला और दस्तकारी को नेस्तनाबूद कर दिया. अलबत्ता, बाद में उन्हें उसकी कीमत समझ में आई और लंदन में शानदार प्रदर्शनियों में उन्होंने दस्तकारी के कई सुंदर नमूने पेश किए, ताकि अपने उपनिवेश की चमत्कारी कला को दिखा सकें.
तो सन् 1947 में जब भारत आजाद हुआ, महात्मा गांधी से लेकर कमलादेवी चट्टोपाध्याय और दीनदयाल उपाध्याय जैसे दिग्गजों और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने ग्रामीण उद्योगों के महत्व पर जोर दिया. राजधानी दिल्ली में केंद्रीय कुटीर उद्योग एंपोरियम और राज्य एंपोरियम जैसे बिक्री केंद्र खोले गए, ताकि कुटीर उद्योग के शिल्प शहरी जनता के लिए उपलब्ध हो सकें. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जोर इन्फ्रास्ट्रक्चर और भारी उद्योग पर था, लेकिन पंचवर्षीय योजनाओं में हस्तशिल्प, हथकरघा और खादी क्षेत्र के लिए भी आवंटन किया गया. हालांकि, शुरुआत में यह आवंटन काफी उदारतापूर्वक हुआ, मगर धीरे-धीरे उत्पादन के दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले इसका प्रतिशत घटता गया. फिर भी जब ग्रामीण बाजारों में औद्योगिक वस्तुओं का सैलाब उमड़ना शुरू हुआ, तो सरकार ने हस्तशिल्प के विकास और संवर्धन के लिए सब्सिडी और अनुदान देकर उन्हें जीवित रखा. शिल्पकारों को लगातार राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कारों से नवाजा गया और बाद में पद्मश्री और शिल्प गुरु जैसी उपाधियां भी दी गईं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 04, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 04, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शोख सनसनी दिल्ली की
आर्ट क्यूरेटर, परोपकारी और सोशल मीडिया सनसनी शालिनी पासी नेटफ्लिक्स की सीरीज फैबुलस लाइव्ज वर्सज बॉलीवुड वाइव्ज में शिरकत करने के बाद मिली शोहरत का मजा ले रहीं
पाइ पटेल की भारत यात्रा
यान मार्टेल के चर्चित उपन्यास लाइफ ऑफ पाइ पर फिल्म भी बनी. और अब यह पुरस्कार विजेता नाटक
कला कनॉट प्लेस के इर्द-गिर्द की
धूमीमल गैलरी में चल रही प्रदर्शनी ज्वॉइनिंग द डॉट्स दिल्ली के सांस्कृतिक दिल कनॉट प्लेस के चिरस्थायी आकर्षण को एक तरह की आदरांजलि
हिंदुस्तानी सिनेमा की एक नई रौशनी
फिल्मकार पायल कपाडिया इन दिनों एक अलग ही रंगत में हैं. वजह है उनकी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट और उन्हें मिल रही विश्व प्रसिद्धि. उनका सफर एक बड़े सिनेमाई मुकाम पर जा पहुंचा है. अब यहां से इस जुनूनी आर्टिस्ट का करियर एक नई उड़ान लेने को तैयार
रतन टाटा जिन्हें आप नहीं जानते
पिछले महीने 86 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुए रतन टाटा. भारत की सबसे पुरानी विशाल कंपनी के चेहरे रतन को हम में से ज्यादातर लोगों ने जब भी याद किया, वे एक सुविख्यात सार्वजनिक शख्सियत और दूसरी ओर एक रहस्यमय पहेली के रूप में नजर आए.
विदेशी निवेश का बढ़ता क्लेश
अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
अब शासन का माझी मंत्र
मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.