एक बहुत तंग कमरा जिसमें नाममात्र की रोशनी है, नारियल की जटाओं और रस्सियों से अटा पड़ा है. मशीन की आवाज में दूसरी सारी आवाजें दब रही हैं. फिर, जैसे-जैसे हमारी आंख खुद को इस अंधेरे के साथ समायोजित करती जाती है, हमें अपने काम में मशगूल 12 महिलाएं साफ-साफ नजर आने लगती हैं. कुछ रस्सियां बना रही हैं तो कुछ दूसरी चीजें तैयार कर रही हैं. उनकी फुर्तीली उंगलियां जटिल हस्तशिल्प को आकार दे रही हैं. 2006 में मुट्ठी भर सदस्यों के साथ इस उद्यम को शुरू करने वाली 45 वर्षीया कविता साहू आज एक सफल उद्यमी हैं. कभी निपट गरीबी में जीवन काटने वाली साहू आज कर्मचारियों को अच्छा वेतन देते हुए अपने लिए 40,000 रुपए प्रति महीने की कमाई कर रही हैं. कविता ओडिशा सरकार की मिशन शक्ति योजना की लाभार्थी हैं.
मिशन शक्ति महिला सशक्तिकरण की ऐसी पहल है जिसने दो दशकों में लाखों महिलाओं को स्वतंत्र रूप से आय का अवसर देकर उनके जीवन को बदल दिया है. ऐसे दौर में जब बहुत से राज्य महिलाओं को वोटबैंक के रूप में लुभाने के लिए तरह-तरह की खैरात बांटते हैं, ओडिशा का मिशन शक्ति कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के रूप में महिला शक्ति को संगठित करता है जो इस कार्यक्रम की रीढ़ हैं. ये एसएचजी तरहतरह के सामान बनाते हैं, और कई किस्म की सेवाएं मुहैया करते हैं. इसके लिए महिलाओं को विविध कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है, सरकारी कर्ज दिया जाता है, इस कर्ज के भुगतान पर जोर दिया जाता है और भुगतान पर पुरस्कृत किया जाता है तथा व्यवसाय की गारंटी दी जाती है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 15, 2023 sayısından alınmıştır.
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