पीऊ मंडल 15 साल की थीं जब 2015 में उन्हें पश्चिम बंगाल में एक सेक्स ट्रैफिकिंग रैकेट यानी लड़कियों को यौन व्यापार में धकेलने वाले गिरोह से बचाया गया था. मुक्त कराए जाने के बाद ऐसी लड़कियों को आम तौर पर क आश्रय गृह में ठौर मिलता है. अगर वे किस्मत वाली रहीं तो हो सकता है कि कोई एनजीओ उस आश्रय गृह में आए और उन्हें नए सिरे से जीवन शुरू करने में मदद भी कर दे. हालांकि, ज्यादातर लोगों के लिए चीजें शायद ही कभी बदलती हैं. उनका दर्द सुनने-समझने वाला कोई नहीं होता और न ही विश्वासघात से जूझते बचपन के बाद वे किसी पर भरोसा कर सकती हैं.
मंडल इन सचाइयों को जानती थीं. वे कहती हैं, "चंगुल से निकाले गए लोगों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता कि बदकिस्मती के शिकार लोगों को किस चीज की जरूरत है." उसी जरूरत को समझते हुए 2015 में इंडियन लीडरशिप फोरम अगेंस्ट ट्रैफिकिंग (आइएलएफएटी/इलफत) का जन्म हुआ. मंडल ने बंगाल के सुंदरबन जिले में मुक्त कराए गए कुछ लड़के-लड़कियों के साथ मिलकर इसे शुरू किया था. यह देह व्यापार से मुक्त कराई गई महिलाओं की ओर से ऐसी ही महिलाओं के लिए शुरू किया गया एकमात्र संगठन है, जिसकी आज 5,000 सदस्य हैं. वे कहती हैं, "मुक्त कराए जाने के बाद अगर कोई हमदर्दी से आपसे कहे कि मुझे पता है तुम किन हालात से गुजरी हो, खुद मैं भी उस से गुजर चुकी हूं और तुम नए सिरे से जिंदगी शुरू कर सकती हो, तो उसके लिए बुरी यादों को भुलाकर आगे बढ़ना आसान हो जाता है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin March 15, 2023 sayısından alınmıştır.
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