पाकिस्तान के संघीय वित्त मंत्री इसहाक डार ने 3 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों की तरफ से लगातार सवाल दागे जाने पर झल्लाकर कहा, "हम माजी (अतीत) में कभी उधार चुकाने में नहीं चूके और आगे भी डिफॉल्ट की स्थिति में नहीं होंगे." उनकी झल्लाहट देश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को लेकर जारी अटकलों का नतीजा थी, जिसे ताजा झटका क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की तरफ से पाकिस्तान की रेटिंग घटाकर सीएए3 कर दिए जाने से लगा है. यह रेटिंग 'नकदी की किल्लत, हालत पूरी तरह खस्ता होने' और डिफॉल्ट के बढ़ते जोखिम को दर्शाती है.
डार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुर उम्मीद तस्वीर पेश की और वहां मौजूद लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के साथ काफी समय से लंबित कर्मचारी-स्तर का समझौता बस अंतिम मुकाम पर है और जल्द ही द्विपक्षीय कोष खतरनाक स्तर तक नीचे पहुंच चुके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने लगेगा और स्थिति पूरी तरह उनके नियंत्रण में है. वैसे, बहुत से लोग उनकी बातों से आश्वस्त नहीं दिखे. सितंबर में जबसे उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अपने सहयोगी और व्हार्टन-शिक्षित मिफ्ताह इस्माईल को दरकिनार कर वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है, वे अपने लापरवाह रवैये से • हालात को और बिगाड़ते ही नजर आए हैं. ओहदा संभालने से पहले उन्होंने लंबे-चौड़े दावे किए कि महंगाई काबू में कर लेंगे, कड़ी शर्तों को लेकर आइएमएफ के साथ फिर बातचीत करेंगे, और गिरते रुपए को संभालकर 200 रुपए प्रति अमेरिकी डॉलर तक ले आएंगे, लेकिन वे इसमें से किसी भी बात को पूरा नहीं कर पाए हैं.
लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था
वित्त मंत्रालय में इस्माईल की जगह लेने के बाद उनके कुछ फैसलों को पलटने की डार की अति-उत्साही कोशिशों ने अगर वास्तव में कुछ किया है तो यही कि लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को बद से बदतर बनाया है. महंगाई ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच चुकी है, खाद्य मुद्रास्फीति 42 फीसद से ऊपर है और परिवहन मुद्रास्फीति 39 फीसद से ज्यादा है; आइएमएफ की पिछले नवंबर में देय एक किस्त अभी तक अटकी है, जबकि सरकार कड़ी शर्तें स्वीकारने करने को बाध्य है. वहीं, मामूली सुधार से पहले रुपया एक समय पर गिरकर 300 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया था.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin March 29, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin March 29, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
तकनीक के नए क्रांतिदूत
भारत धीरे-धीरे ही सही लेकिन दुनिया के लिए डिजिटल फैक्टरी की अपनी भूमिका से बाहर निकल रहा है.
ऐसे तो न चल पाएगा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने हाल ही एक ऑनलाइन बैठक के दौरान पार्टी की बंगाल इकाई के नेताओं को आगाह किया कि वे उनकी (बंसल की) कुख्यात छवि को ध्यान में रखें.
बादल के संकट
खिरकार, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) आ के प्रमुख सुखबीर बादल को इस्तीफा देना ही पड़ा. करीब 16 साल तक बतौर अध्यक्ष पार्टी की कमान संभाले रहे पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री को पार्टी के भीतर गुटबाजी और सिख धर्मगुरुओं के बढ़ते दबाव के कारण पद छोड़ना पड़ा.
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती