मार्च की 31 तारीख को जब वित्त वर्ष 2022-23 समाप्त हो रहा था, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 2023 के लिए भारत की विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) का ऐलान करते हुए साल 2030 तक निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 164 लाख करोड़ रुपए तय किया. अब जबकि वित्त वर्ष 2023 में भारत का कुल निर्यात 62.7 लाख करोड़ रु. का रहा है, लिहाजा उस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए अगले सात साल तक प्रति वर्ष 14 प्रतिशत की दर से वृद्धि करनी होगी. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह लक्ष्य आशावादी लगता है क्योंकि 2023 में निर्यात की वृद्धि करीब 10 प्रतिशत रही है.
वे इशारा करते हैं कि भारत के कोविड काल के प्रभाव से बाहर आने में मजबूत निर्यात एक महत्वपूर्ण कारक था- 2020-21 में 291.8 अरब डॉलर (24 लाख करोड़ रुपए) तक गिरने के बाद, 2021-22 में व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात तेजी से बढ़कर 422 अरब डॉलर (34.7 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गया था. हालांकि उस तरह की वृद्धि वित्त वर्ष 2023 में कायम न रह सकी. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन्स (एफआइईओ) के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय कहते हैं, "2022 में मांग में असाधारण बढ़ोतरी हुई और इससे हमारे निर्यात में भारी वृद्धि हुई. यह वृद्धि वैश्विक व्यापार के रुझान के अनुरूप भी थी. लेकिन, 2022 की दूसरी छमाही में हम वैश्विक व्यापार में कुछ नरमी देख रहे हैं."
गोयल ने हाल में मीडिया से बातचीत में माना कि "इस समय निर्यात को लगभग 100 अरब डॉलर तक बढ़ाना आसान नहीं है. ... हालांकि सेवाओं के निर्यात ने माल पक्ष में आई कुछ कमी की भरपाई की है, लेकिन माल निर्यात में भी वृद्धि हुई है और कुछ निर्यात प्रतिबंध न होते तो यह वृद्धि और भी अधिक हो सकती थी."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 19, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin April 19, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.
नई सोच का संस्थान
बी-स्कूलों का परंपरागत खाका तोड़कर आइआइएम इंदौर शैक्षणिक उत्कृष्टता पर तो जोर दे ही रहा है, प्लेसमेंट को लेकर अनूठे दृष्टिकोण के साथ सामाजिक प्रभाव बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहा
तो क्या सांची पर भारी पड़ेगा अमूल?
गाजय तो गाय, अब दूध भी मध्य प्रदेश में सियासी मुद्दा बनता जा रहा है. राज्य सरकार ने एमपी राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) का नियंत्रण पांच साल के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंपने का फैसला किया तो हंगामा मच गया.
शर्माजी की अग्नि परीक्षा
शर्मा के लिए स्थितियां आसान नहीं हैं. उपचुनाव वाली सात में से चार सीटों पर हाल के दिनों में कांग्रेस जीतती आई है. दो सीटें आरएलपी और बीएपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के गढ़ वाले क्षेत्र की हैं
परबिया अस्मिता की आवाज
रदा सिन्हा नहीं रहीं. करीब पखवाड़े भर शा जिंदगी उनके साथ शहमात का खेल खेलती रही. पर संयोगों का संयोग कि जिस छठ पर्व को उन्होंने अपार विस्तार देने में गीतों के माध्यम से कालजयी भूमिका निभाई, उसी छठ पर्व के दौरान वे दुनिया से विदा हुईं.
भीमकाय त्रासदी
उनतीस अक्तूबर को धनतेरस का शुभ अवसर था, जो कि दीवाली से दो दिन पहले आता है. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में रेंजर, ड्राइवर, वन रक्षक, टुअर ऑपरेटर और पार्क के प्रबंधन से जुड़ा हर व्यक्ति उत्सव के माहौल में था. लेकिन दोपहर होते-होते स्थितियां एकदम बदल गईं.