बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) सुप्रीमो नीतीश कुमार को गरमागरम चाय की चुस्की लेना बहुत पसंद है. वे चाय में एक निश्चित मात्रा में शक्कर पसंद करते हैं- सिर्फ एक चौथाई चम्मच. इससे "एक चुटकी भी अधिक नहीं" क्योंकि, उनका मानना है कि इससे ज्यादा शक्कर से चायका मजा खराब हो जाता है. उम्मीद की जा सकती है कि वह कुशलता जो चाय के सभी अवयवों के बीच परफेक्ट समिश्रण बना के सही जायका सुनिश्चित करती है, वही कौशल उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों से एक साल पहले उस खौलते हुए कड़ाहे में जिसमें विपक्ष के सभी दल निहित हैं, भी सही मिश्रण बनाने में मदद करेगी.
12 अप्रैल को, नीतीश अपने डिप्टी सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ बंद कमरे में बैठक के लिए नई दिल्ली में थे. जैसा कि उन्होंने बताया कि इस मुलाकात का लक्ष्य 2024 के चुनाव से पहले "विपक्षी दलों का यथासंभव विशाल गठबंधन" खड़ा करना है ताकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बेदखल किया जा सके.
सारी पार्टियों के बीच वैचारिक स्तर पर जितनी भिन्नता है, उसे देखते हुए यह एक बहुत बड़ा और चुनौतीपूर्ण काम होने वाला है. इसलिए काम का बंटवारा कर दिया गया है. खड़गे शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री डीएमके के एम. के. स्टालिन और समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने की कोशिश करेंगे तो नीतीश को कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम सौंपा गया है-उन पार्टियों को साथ लाना जो कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने में सहज नहीं हैं.
नीतीश का मुख्य लक्ष्य बड़े विपक्षी खेमे में चार प्रमुख खिलाड़ियों को शामिल करना है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) और के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) क्रमश: पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब और तेलंगाना में सत्ता में हैं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में एक मजबूत विपक्षी ताकत हैं. इन पांच राज्यों में लोकसभा की कुल 159 सीटें हैं. यानी निचले सदन की कुल सीटों का लगभग 30 प्रतिशत फिलहाल, उनमें से 94 यानी लगभग 60 प्रतिशत पर भाजपा का कब्जा है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin May 03, 2023 sayısından alınmıştır.
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