अप्रैल की 25 तारीख. दंतेवाड़ा पुलिस को दरभा डिवीजन में माओवादियों के होने की खबर मिली. इस पर ऐक्शन लेते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस और सीआरपीएफ जवान करीब 200 की तादाद में रातो-रात दरभा के लिए रवाना कर दिए गए. अगली सुबह पेट्रोलिंग टीम का निहाड़ी नाम के एक गांव के पास माओवादियों से आमना-सामना हुआ. इस दौरान हुई फायरिंग में दो संदिग्ध माओवादी गोली लगने से जख्मी हो गए. यह टीम अब ऑपरेशन खत्म करके और घायल माओवादियों को गिरफ्तार कर दंतेवाड़ा की तरफ लौट रही थी.
यह अक्षय तृतीया का दिन था. बस्तर में इसे आमा-पंडूम के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन छोटे बच्चे आम खरीदने के लिए अपने बड़ों से नेग लेते हैं. रात को सुरक्षा बलों की टीम जिस रास्ते से दरभा की तरफ गई थी, वापसी में उसे वहीं से गुजरना था. सुरक्षाबलों के गुजरने के बाद जगरगुंडा और दंतेवाड़ा को जोड़ने वाली हाल ही में बनी सड़क पर माओवादियों ने उसी रात 40 से 50 किलो विस्फोटक प्लांट कर दिया था. आमा-पंडूम के त्योहार के चलते सड़क पर जगह-जगह ग्रामीणों ने अस्थाई बैरिकेडिंग की हुई थी, जहां वे हर मुसाफिर से त्योहार के लिए नेग उगाह रहे थे. सुरक्षाबलों का काफिला अरणपुर पहुंचने वाला था, तभी उसका सामना ग्रामीणों के ऐसे ही एक बैरिकेड से हुआ. यहां उनके आगे तीन-चार और भी वाहनों को रोका गया था जिनमें आम नागरिक सवार थे.
यहां से सुरक्षाबलों का काफिला एक किलोमीटर भी नहीं बढ़ा था कि उनकी एक गाड़ी आइईडी ब्लास्ट की चपेट में आ गई. शुरुआती जांच में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि आमा-पंडूम की यह चौकी माओवादियों की प्लानिंग का हिस्सा थी. यहां माओवादी संगठन के लोग आम ग्रामीणों की शक्ल में मौजूद थे. इस पूरे इलाके में यही वह जगह है जहां मोबाइल नेटवर्क आता है. कहा जा रहा है कि आमा पंडूम की इस चौकी पर मौजूद माओवादी संगठन के लोगों ने मोबाइल से सुरक्षाबलों के मूवमेंट की सूचना आगे दे दी और इस तरह सुरक्षाबलों को ले जा रही वैन को निशाना बनाया गया.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin May 17, 2023 sayısından alınmıştır.
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