हाइ-स्पीड रेल
गोली की गति से सफर का रोमांच
भारत का हाइ-स्पीड रेल नेटवर्क प्रोजेक्ट न केवल परिवहन का चेहरा बदलेगा बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला भी साबित होगा
कल्पना कीजिए कि मुंबई से अहमदाबाद की 500 किलोमीटर की दूरी आप सिर्फ दो घंटे में तय कर लेते हैं. तीन दशक पहले यह सोचना दूर की कौड़ी ही नजर आता था. 1980 के दशक के मध्य में तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया ने पहली बार दिल्ली-कानपुर के बीच एक हाइ-स्पीड रेल लाइन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन तब कहा गया था कि यह आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है. हालांकि, आज करीब 40 साल बाद भारत वह सपना साकार करने के कगार पर है. 2027 के मध्य तक भारत 508 किलोमीटर लंबे मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर पर अपनी पहली हाइ-स्पीड ट्रेन का ट्रायल शुरू होने की उम्मीद कर रहा है. इसकी अधिकतम गति 320 किमी प्रति घंटे होगी, जो वंदे भारत की 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दोगुनी है. अभी भारत में सबसे तेज गति की ट्रेन वंदे भारत ही है.
यह गेमचेंजर क्यों है
हाइ-स्पीड ट्रेनें भारत की दशा-दिशा को पूरी तरह बदलकर रख देंगी. उदाहरण के तौर पर, अहमदाबाद-मुंबई लाइन से दोनों शहरों के बीच यात्रा में लगने वाला समय करीब सात घंटे से घटकर दो घंटे ही रह जाने की उम्मीद है. यह प्रोजेक्ट जापान की मदद से चलाया जा रहा है, जो 79,000 करोड़ रुपए के सॉफ्ट लोन के जरिए लागत का 80 फीसद हिस्सा देगा और भारत को अपनी शिंकनसेन (जापान का हाइ-स्पीड बुलेट ट्रेन नेटवर्क) तकनीक भी मुहैया कराएगा. 2016 में केंद्र की तरफ से स्थापित भारतीय राष्ट्रीय हाइ-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसी) प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण पहले ही कर चुका है और पटरियां बिछाने का काम भी शुरू हो चुका है. एचएसआर के साथ हाइ-स्पीड नेटवर्क के तहत कवर मार्गों की कुल संख्या 400 तक पहुंच जाएगी, जिसमें सेमी-हाइ-स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के 25 मार्ग भी शामिल हैं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 30, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 30, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शोख सनसनी दिल्ली की
आर्ट क्यूरेटर, परोपकारी और सोशल मीडिया सनसनी शालिनी पासी नेटफ्लिक्स की सीरीज फैबुलस लाइव्ज वर्सज बॉलीवुड वाइव्ज में शिरकत करने के बाद मिली शोहरत का मजा ले रहीं
पाइ पटेल की भारत यात्रा
यान मार्टेल के चर्चित उपन्यास लाइफ ऑफ पाइ पर फिल्म भी बनी. और अब यह पुरस्कार विजेता नाटक
कला कनॉट प्लेस के इर्द-गिर्द की
धूमीमल गैलरी में चल रही प्रदर्शनी ज्वॉइनिंग द डॉट्स दिल्ली के सांस्कृतिक दिल कनॉट प्लेस के चिरस्थायी आकर्षण को एक तरह की आदरांजलि
हिंदुस्तानी सिनेमा की एक नई रौशनी
फिल्मकार पायल कपाडिया इन दिनों एक अलग ही रंगत में हैं. वजह है उनकी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट और उन्हें मिल रही विश्व प्रसिद्धि. उनका सफर एक बड़े सिनेमाई मुकाम पर जा पहुंचा है. अब यहां से इस जुनूनी आर्टिस्ट का करियर एक नई उड़ान लेने को तैयार
रतन टाटा जिन्हें आप नहीं जानते
पिछले महीने 86 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुए रतन टाटा. भारत की सबसे पुरानी विशाल कंपनी के चेहरे रतन को हम में से ज्यादातर लोगों ने जब भी याद किया, वे एक सुविख्यात सार्वजनिक शख्सियत और दूसरी ओर एक रहस्यमय पहेली के रूप में नजर आए.
विदेशी निवेश का बढ़ता क्लेश
अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
अब शासन का माझी मंत्र
मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.